Uttar Pradesh

‘पढ़ाने आया था, क्या पता था कुत्ते गिनने होंगे?’ टीचरों के दर्द पर क्या बोले शिक्षाविद्? CM योगी से की ये मांग teachers to count stray dogs in aligarh and raebareli order now educationists js rajput and dr kureel demand cm yogi to stop this derogatory dogs tracking by teachers

Stray dogs counting by Teachers:‘मैं शिक्षण में इसलिए आया था कि बच्चों को पढ़ाउंगा लेकिन क्या पता था कि यहां कुत्ते भी गिनने होंगे’….. यह दर्द उस टीचर का है जिसने हाथ में आई हुई दूसरी सरकारी नौकरी छोड़कर टीचिंग को चुना. कमोबेश यही हाल हर उस शिक्षक का है, जिसको आवारा कुत्तों की गणना करने का आदेश दिया गया है. हाल ही में अलीगढ़ और रायबरेली सहित कई शहरों में आवारा कुत्तों की ट्रैकिंग के लिए शिक्षकों को लगाने के आदेश जारी किए गए हैं, जिसे लेकर शिक्षकों में तो रोष है ही आम लोग भी इसे हास्यास्पद लेकिन गंभीर बता रहे हैं.

बेसिक शिक्षा अधिकारियों की ओर से आदेश दिया गया है कि बच्चों को आवारा कुत्तों के हमलों से बचाने के लिए स्कूलों की बाउंड्रीवॉल बनाने के साथ ही शिक्षकों को आतंक फैलाने वाले कुत्तों को ट्रैक कर उनकी रिपोर्ट भी आगे भेजनी होगी, ताकि इस पर आगे कार्रवाई हो सके. ऐसे में कहा जा रहा है कि पढ़ाने के बाद अब शिक्षक सड़कों पर डंडा लेकर निकलेंगे और आवारा कुत्तों की गिनती करेंगे. शिक्षकों को डॉग ट्रैकर बनाने के आदेशों पर News18hindi ने देश के जाने-माने शिक्षाविदों से बात की है और इन आदेशों पर उनकी राय जानी है.

जेएस राजपूत बोले- बहुत अपमानजनक है..

अलीगढ़ और रायबरेली में आवारा कुत्‍तों को ट्रैक करने के आदेश के ख‍िलाफ टीचरों में रोष है.

देश के जाने-माने शिक्षाविद्, एनसीटीई के पूर्व अध्यक्ष और एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक प्रोफेसर जगमोहन सिंह राजपूत ने ऐसे आदेश पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह शिक्षकों के लिए काफी अपमानजनक है. शिक्षकों का काम बच्चों को शिक्षा और ज्ञान देने का है ताकि बेहतर राष्ट्र, बेहतर नागरिक और बेहतर समाज बन सके. प्रशासन और सरकार को भी चाहिए कि वह शिक्षकों को सम्मान दे लेकिन दुर्भाग्य है कि अब शिक्षक अध्यापन छोड़कर कुत्तों की ट्रैकिंग करेंगे. ‘एक बार गांधी जी ने कहा था कि अगर आप एक भी व्यक्ति का जीवन संवार देते हैं तो आपका जीवन सफल है’ लेकिन एक शिक्षक तो हजारों बच्चों का जीवन बनाता है. ऐसे में शिक्षक तो सबसे ऊपर आता है.

राजपूत आगे कहते हैं कि अगर आप शिक्षकों को सम्मान नहीं दे सकते तो कम से कम अपमान न करें. इस काम से बच्‍चे भी श‍िक्षकों का सम्‍मान नहीं कर पाएंगे. हर सरकार कहती है कि वे शिक्षकों को शिक्षा क्षेत्र में ही लगाकर रखेंगे, इधर-उधर के कामों में नहीं उलझाएंगे, लेकिन विडंबना है कि कभी पल्स पोलियो अभियान, कभी एसआईआर तो कभी इंसानों या कुत्तों की गणना में इन्हें लगाया जा रहा है.जब प्राथमिक शिक्षा ही बच्चों को नहीं मिल पाएगी, नींव ही कमजोर रहेगी तो बेहतर राष्ट्र का निर्माण कैसे होगा?

सीएम योगी इस मामले का समाधान करें

प्रोफेसर कहते हैं कि यह प्रशासनिक स्तर पर हुई गलती है, और ऐसी गलतियां काफी पहले से होती आ रही हैं. अगर शिक्षा का स्तर सुधारना है तो पहले टीचरों को सम्मान देना होगा.अगर इस मामले में सीएम योगी के स्तर से दखल दी जाए और आदेश को रोककर शिक्षकों को सिर्फ शैक्षणिक कार्यों तक सीमित रखने का आदेश दिया जाए तो यह बच्चों से लेकर शिक्षक, समाज और राष्ट्र के लिए बेहतर होगा.

आवारा कुत्‍तों को लेकर यूपी के दो ज‍िलो में वि‍वादास्‍पद आदेश जारी क‍िए गए हैं.

सरकार के नुमाइंदे, कोई भी काम कराए लेकिन…. वहीं नेशनल एजुकेशन पॉलिसी बनाने वाली समिति में शामिल रहे शिक्षाविद् डॉ. रामशंकर कुरील ने कहा, ‘शिक्षक राज्य सरकार के नुमाइंदे हैं, ऐसे में यह सरकार का अधिकार है कि वह उनसे क्या काम करवाती है. कुत्तों को ट्रैक करना है या कुछ और काम कराना है, मैं काम को छोटा या बड़ा नहीं मानता, लेकिन सबसे बड़ी चिंता ये है कि इससे शिक्षण और अध्यापन बाधित होगा. बच्चों को जो शिक्षा मिलनी है वह रुकेगी. शिक्षक अगर किसी और कार्य में लगाए जाएंगे तो बच्चों को पढ़ाएगा कौन?

डॉ. कुरील कहते हैं कि जहां तक कुत्तों की गिनती करने का काम है तो बहुत सारे पशु प्रेमी, बड़े-बड़े संगठन, वन्य जीव विभाग आदि पशुओं की गिनती से संबंधित काम करते हैं और इसे अच्छा भी मानते हैं. लेकिन सबसे बड़ा दुर्भाग्य यही है कि प्राथमिक शिक्षा का नुकसान होगा. देश के भविष्य का नुकसान होगा. ये नहीं होना चाहिए.

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