Last Updated:December 21, 2025, 17:43 ISTWheat irrigation tips : रवि मौसम की प्रमुख फसल गेहूं की बेहतर पैदावार के लिए शीत के दौरान सही सिंचाई बेहद जरूरी है. गलत समय या अधिक पानी से फसल को भारी नुकसान हो सकता है. मऊ के जिला कृषि अधिकारी ने किसानों को पहली सिंचाई, पानी की मात्रा और पाले से बचाव को लेकर जरूरी सलाह दी है.मऊ: रवि मौसम की प्रमुख फसल गेहूं की अच्छी उपज और गुणवत्ता के लिए समय पर और संतुलित सिंचाई बेहद जरूरी है. लेकिन शीत के मौसम में थोड़ी सी लापरवाही किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है. गलत समय पर या अधिक मात्रा में की गई सिंचाई से फसल प्रभावित होती है. ऐसे में विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार सिंचाई करना बेहद आवश्यक हो जाता है.
मऊ जनपद में रवि मौसम के दौरान गेहूं की खेती कर रहे किसानों के लिए जिला कृषि अधिकारी स्वयं प्रकाश गुप्ता ने अहम सुझाव दिए हैं. लोकल 18 से बातचीत में उन्होंने बताया कि शीत के समय गेहूं की फसल की सिंचाई करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. यदि बिना मिट्टी की नमी जांचे सिंचाई कर दी जाती है तो फसल को लाभ के बजाय नुकसान हो सकता है. खेत में पहले से पर्याप्त नमी होने की स्थिति में सिंचाई करने से पौधों की जड़ों में सड़न, पीलापन और पोषक तत्वों का बहाव हो जाता है, जिससे उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ता है.
20 से 25 दिन बाद करें पहली सिंचाईजिला कृषि अधिकारी के अनुसार गेहूं की फसल में पहली सिंचाई का सही समय बुवाई के 20 से 25 दिन बाद होता है. यह अवस्था जड़ों और कल्लों के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस समय पानी की कमी होने पर पैदावार में भारी गिरावट आ सकती है. इसके बाद किसानों को खेत की समतलता पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि पानी पूरे खेत में समान रूप से फैले. कहीं अधिक और कहीं कम पानी रहने से पौधों की बढ़वार असमान हो जाती है.
पानी की गुणवत्ता भी है जरूरीकृषि अधिकारी ने बताया कि सिंचाई के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी की गुणवत्ता की जांच भी आवश्यक है. खड़ा हुआ या प्रदूषित पानी गेहूं की फसल के लिए हानिकारक होता है. ऐसे पानी से मिट्टी की उर्वरता घटती है और पौधों की वृद्धि प्रभावित होती है. इसलिए साफ और बहते हुए पानी से ही सिंचाई करनी चाहिए.
शीत से बचाव के लिए धुंआ करना लाभदायकशीत के दौरान गेहूं की फसल को पाले से बचाने के लिए शाम के समय हल्की सिंचाई करना लाभकारी होता है. इसके साथ ही रात में खेत के चारों ओर पुआल या अन्य सूखे अवशेष जलाकर धुंआ करना चाहिए. इससे गेहूं की पत्तियों पर जमने वाला पाला धुएं के साथ समाप्त हो जाता है और पौधों का विकास बेहतर होता है.
पीलापन दूर करने के उपाययदि गेहूं की फसल में पीलापन दिखाई दे तो किसानों को सल्फर युक्त यूरिया का छिड़काव करना चाहिए. जिला कृषि अधिकारी के अनुसार 5 किलोग्राम प्रति एकड़ की मात्रा में छिड़काव करने से फसल का पीलापन दूर होता है और पौधों की हरियाली वापस लौटती है.
हल्की मात्रा में करें सिंचाईगेहूं की सिंचाई करते समय पानी की मात्रा हमेशा हल्की रखनी चाहिए. अधिक पानी छोटे पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और सड़न की समस्या पैदा कर सकता है. इसलिए शीत के मौसम में सिंचाई के बाद खेत के चारों ओर पुआल या कूड़ा जलाकर धुंआ करना और संतुलित सिंचाई करना किसानों के लिए बेहद जरूरी है. इससे गेहूं की फसल स्वस्थ रहेगी और पैदावार बेहतर होगी.Location :Mau,Uttar PradeshFirst Published :December 21, 2025, 17:43 ISThomeuttar-pradeshगेहूं की पैदावार बढ़ानी है तो शीत में सिंचाई ऐसे करें, कृषि अधिकारी की चेतावनी

