Last Updated:December 21, 2025, 08:42 ISTAligarh News: रात के समय कुत्ते, बिल्ली या गधे के रोने को लेकर समाज में कई तरह के अंधविश्वास प्रचलित हैं. लोग इसे अशुभ संकेत या अनहोनी से जोड़कर देखते हैं, लेकिन इस्लाम इस तरह की मान्यताओं को सही नहीं मानता. शाही चीफ मुफ्ती ऑफ उत्तर प्रदेश मौलाना चौधरी इब्राहीम हुसैन ने स्पष्ट किया कि इस्लाम में अपशगुन का कोई वजूद नहीं है. जानवरों की आवाज़ें किसी अदृश्य एहसास का परिणाम हो सकती हैं, न कि बीमारी या अनहोनी का संकेत.अलीगढ़: रात के सन्नाटे में कुत्ते, बिल्ली के रोने को लेकर समाज में कई तरह की बातें और अंधविश्वास प्रचलित हैं. कई लोग इसे अशुभ संकेत, बीमारी या किसी अनहोनी से जोड़कर देखने लगते हैं. लेकिन क्या वाकई इन मान्यताओं का कोई सच है, या यह सिर्फ लोगों का भ्रम है? क्या इस्लाम में ऐसी धारणाओं की कोई बुनियाद मौजूद है? इन्हीं सवालों पर शाही चीफ मुफ्ती ऑफ उत्तर प्रदेश मौलाना चौधरी इब्राहीम हुसैन ने इस्लामी नजरिए से स्थिति स्पष्ट की.
अदृश्य चीज़ों को करते हैं महसूसमुस्लिम धर्मगुरु मौलाना चौधरी इब्राहीम हुसैन ने बताया कि आम तौर पर लोग कुत्ते, बिल्ली या गधे के रोने को अशुभ मान लेते हैं और इसे शैतानी शक्तियों की सक्रियता से जोड़ देते हैं, जबकि इस्लाम इस तरह के वहम और बेबुनियाद डर की इजाज़त नहीं देता. उन्होंने कहा कि इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार कुछ जानवर ऐसी अदृश्य चीज़ों या स्थितियों को महसूस कर सकते हैं, जिन्हें इंसान महसूस नहीं कर पाता. इसी कारण कभी-कभी जानवर रात के समय आवाज़ें निकालते हैं.
नहीं होती कोई अनहोनीमौलाना ने स्पष्ट किया कि इसका यह मतलब नहीं है कि हर बार कोई बुरा या अशुभ संकेत ही हो. समाज में यह धारणा फैलाई जाती है कि इन जानवरों के रोने से घर में बीमारी, परेशानी या अनहोनी आती है, जबकि यह सोच पूरी तरह गलत और गुमराही पर आधारित है.
बेवजह का पैदा करते हैं डरउन्होंने कहा कि इस्लाम में अपशगुन का कोई अस्तित्व नहीं है. इस दुनिया में होने वाली हर घटना अल्लाह की मर्ज़ी और तयशुदा वक्त के अनुसार होती है. किसी की बीमारी, परेशानी, मौत या ज़िंदगी का फैसला किसी जानवर की आवाज़ से जुड़ा नहीं है. इस तरह के ख्याल इंसान के दिल में बेवजह का डर पैदा करते हैं, जो इस्लामी सोच के खिलाफ है.
अल्लाह पर रखना चाहिए भरोसामौलाना ने आगे बताया कि यदि कभी इस तरह की आवाज़ें सुनकर दिल में घबराहट हो, तो मुसलमान को चाहिए कि वह अल्लाह की पनाह मांगे और उसका ज़िक्र करे. इस्लाम में मानसिक सुकून और हिफ़ाज़त के लिए आऊज़ु बिल्लाहि मिन अश-शैतानिर रजीम, आयतुल कुर्सी और चारों कुल पढ़ने की हिदायत दी गई है. इससे दिल को शांति मिलती है और अल्लाह की रहमत से इंसान सुरक्षित रहता है. उन्होंने कहा कि एक मुसलमान को हर हाल में अल्लाह पर भरोसा रखना चाहिए, क्योंकि वही हर चीज़ का मालिक है.About the AuthorRahul Goelराहुल गोयल न्यूज़ 18 हिंदी में हाइपरलोकल (यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश) के लिए काम कर रहे हैं. मीडिया इंडस्ट्री में उन्हें 16 साल से ज्यादा का अनुभव है, जिसमें उनका फोकस हमेशा न्यू मीडिया और उसके त…और पढ़ेंLocation :Aligarh,Uttar PradeshFirst Published :December 21, 2025, 08:42 ISThomedharmरात में कुत्ते या बिल्ली के रोने का क्या है मतलब? यहां जाने हकीकत

