रामपुर: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के एक पुराने मामले में कोर्ट ने बरी कर दिया है. एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें दोषमुक्त घोषित किया.
क्या है पूरा मामला
यह मामला 29 मार्च 2019 का है, जब सपा कार्यालय पर आजम खान ने कथित तौर पर एक सभा को संबोधित किया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने तत्कालीन जिलाधिकारी (डीएम) और अन्य अधिकारियों के खिलाफ लोगों को भड़काया. भाषण में उन्होंने कथित रूप से कहा था कि ये अधिकारी रामपुर को खून से नहलाना चाहते हैं और जिन जिलों में पहले रहे हैं, वहां कमजोर लोगों पर तेजाब डालकर उन्हें नुकसान पहुंचाया है.
किसने कराया था मुकदमा दर्ज
मामला दर्ज कराने वाले शिकायतकर्ता आम आदमी पार्टी के तत्कालीन प्रदेश प्रवक्ता फैसल खान लाला थे. उन्होंने 2 अप्रैल 2019 को शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस जांच के बाद आजम खान के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई.
आजम खान के खिलाफ नहीं थे साक्ष्य
कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष मजबूत सबूत पेश नहीं कर सका. साक्ष्यों की कमी के आधार पर एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान को बरी करने का फैसला सुनाया.
नहीं मिली है जेल से रिहाई
वर्तमान में आजम खान अपने बेटे अब्दुल्ला आजम खान के साथ रामपुर जेल में बंद हैं. अब्दुल्ला को दो अलग-अलग पैन कार्ड बनाने के मामले में सात-सात साल की सजा सुनाई गई है, जबकि आजम खान भी विभिन्न मामलों में सजा काट रहे हैं. इस बरी होने से उन्हें एक मामले में राहत जरूर मिली है, लेकिन जेल से रिहाई के लिए अन्य मामलों के फैसले का इंतजार रहेगा.
इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है. सपा समर्थक इसे न्याय की जीत बता रहे हैं, जबकि विपक्षी दल पुराने मामलों की जांच पर सवाल उठा रहे हैं.

