Uttar Pradesh

पापा अब काम मत करना… ये शब्द सुनकर पिता की आंखें हुई नम, IPL में पहुंचा गोरखपुर का विशाल, इमोशनल कर देगी स्टोरी

IPL 2026 Auction: आईपीएल क्रिकेट का ऐसा मंच है जहां नौजवान खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है. पिछले अठारह साल से आईपीएल का आयोजन हो रहा है. इस दौरान देश और दुनिया के कई युवा खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए इंटरनेशनल क्रिकेट में एंट्री मारी. 19वें सीजन के लिए खिलाड़ियों का ऑक्शन हो चुका है. इस बार यूपी के युवा खिलाड़ियों का भी दबदबा कायम है.

गोरखपुर के खोराबार थाना क्षेत्र के जंगल अयोध्या गांव से निकलकर विशाल निषाद ने देश के बड़े क्रिकेट मंच पर अपना नाम स्थापित कर लिया है. चार साल पहले जिसने प्रोफेशनल क्रिकेट का सपना देखा था, आज वह उस मुकाम पर पहुंच चुका है. जहां तक पहुंचने में लोग पूरी ज़िंदगी बिता देते है.

गांव के खेतों में अभ्यासविशाल की शुरुआत किसी अकादमी के शानदार ग्राउंड से नहीं, बल्कि गांव के खेतों से हुई. वह मिट्टी में खेलते हुए दोस्तों के साथ बल्ला-गेंद उठाकर क्रिकेट सीखता और अपने हुनर को तराशता. हालात आसान नहीं थे, लेकिन उसका जज़्बा मजबूत था. पिता उमेश निषाद हार्ट पेशेंट है और राजमिस्त्री का काम करते है. परिवार में तीन बेटे और एक बेटी है. जिसमें विशाल सबसे छोटा है. जब पिता की तबीयत बिगड़ती तो विशाल उनके साथ काम पर जाता और ईंट-गारे में उनका हाथ बंटाता.

काम और क्रिकेट साथ चलता रहाकाम और क्रिकेट दोनों साथ चलते रहे. कभी पेट की चिंता, कभी घर की मजबूरी, लेकिन क्रिकेट का सपना कभी कमजोर नहीं पड़ा. एक मोड़ तब आया जब विशाल ने यूपी टी20 लीग के लिए फॉर्म भरा, सिलेक्शन हुआ और यहीं से किस्मत ने करवट ली. शानदार प्रदर्शन के बाद आईपीएल में पंजाब की टीम ने उसे 30 लाख रुपये में खरीदा. गांव से लेकर शहर तक खुशी की लहर दौड़ गई.

पिता की आंखें हुई नमपिता उमेश की आंखों में आज सुकून है. वे कहते है मेरे बेटे ने हमारा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया. अब विशाल खुद फोन कर कहता है कि पापा अब आपको काम पर नहीं जाना है. जिन हाथों ने कभी राजमिस्त्री का औजार पकड़ा था. आज वही हाथ बेटे की कामयाबी पर दुआ के लिए उठते है.

खाने का शौकीन है विशालविशाल की मां को वह दिन आज भी याद है. मां भावुक होकर कहती है जब प्रैक्टिस से लौटकर वह भूखा रहता था और खाने में अक्सर नॉनवेज मांगता था. क्रिकेट उसका जुनून था. थक जाता था लेकिन कभी शिकायत नहीं करता.

मिस्ट्री स्पिन में कुछ खासकोच कल्याण बताते है कि विशाल की मिस्ट्री स्पिन में कुछ खास है. अच्छे-अच्छे बल्लेबाज उसकी गेंद को पढ़ नहीं पाते. मैंने उसका टैलेंट पहचाना और बिना पैसे लिए उसे ट्रेनिंग दी. आज उसका सपना सच होते देखना मेरे लिए भी गर्व की बात है.

अंतरराष्ट्रीय सपनों की ओर बढ़ा विशालखेतों से शुरू हुई यह कहानी अब अंतरराष्ट्रीय सपनों की ओर बढ़ रही है. विशाल निषाद का अगला लक्ष्य साफ है भारत का प्रतिनिधित्व करना. गोरखपुर के इस बेटे ने साबित कर दिया कि हालात चाहे जैसे भी हों मेहनत और भरोसा हो तो किस्मत भी सलाम करती है.

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