बलिया. ये पौधा सड़क के किनारे, खेतों की मेड़, खाली जमीन या जंगलों में आसानी से दिख जाता हैं. ये एक कांटेदार और मांसलदार हरा पौधा होता है, जिसकी पत्तियां मोटी होती हैं. लोगों की नजर में बस बेकार झाड़ी जैसा होता है, लेकिन ये साधारण नहीं, बल्कि खासतौर से ठंड की विशेष औषधि है. इस पौधे को आयुर्वेद में स्नूही कहा गया है, जबकि आम बोलचाल में यह सेहुंड (Sehund) के नाम से फेमस है. ये औषधि किसी संजीवनी से कम नहीं है. सेहुंड का उपयोग दादी-नानी भी परम्परागत रूप से कई रोगों में किया करती थीं.
कब्ज, गैस, अपच से राहत
बलिया के आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुभाष चंद्र यादव, जिनके पास करीब 15 वर्षों का लंबा अनुभव है, बताते हैं कि सेहुंड एक अत्यंत गुणकारी औषधीय पौधा है. इसकी पहचान कांटेदार तना, मोटी पत्तियां और हरा मांसल शरीर है. ये देखने में साधारण लगता है, लेकिन अपने अंदर कई रोगों का इलाज छिपाए हुए हैं. ये पौधा तीव्र विरेचक होता है. इसके पत्ते या तने के रस का सीमित मात्रा में सेवन करने से पेट साफ और कई दूसरी बीमारियां भी दूर होती हैं. सेहुंड का दूध निकालकर उसमें काली मिर्च डुबो दें. इसके बाद मिर्च को सुखाकर दो दानों का सेवन करने से कब्ज, गैस और अपच की समस्या से निजात मिलती है.
कर लें हल्का गर्म
सेहुंड की पत्तियों को हल्का आग पर सेंककर उनका रस निकाल लें. इस रस में थोड़ा नमक मिलाकर एक चम्मच सेवन करने से खांसी-जुकाम में काफी राहत मिलता है. सेहुंड के दूध में हल्दी चूर्ण मिलाकर हल्का गर्म कर लें. इसे मस्सों पर लगाने से सूजन और दर्द में बहुत राहत मिलती हैं. यह जोड़ों का दर्द, गठिया, सूजन, घाव (पत्तों को पीसकर लगाना), संक्रमण, कान दर्द, कब्ज, पेट फूलना, एग्जिमा, सोरायसिस, शुगर और ब्लड शुगर असंतुलन में भी उपयोगी है.
Disclaimer : सेहुंड बहुत काम का है, लेकिन आयुर्वेद विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि ये तीव्र विरेचन औषधि है, इसलिए बिना चिकित्सकीय सलाह के ज्यादा प्रयोग न करें.

