Uttar Pradesh

धरोहरः गोंडा का पचरननाथ महादेव मंदिर, पांचों पांडवों ने की थी शिवलिंग की स्थापना, 5000 साल पुराना है इतिहास

Last Updated:December 16, 2025, 10:14 ISTGonda Dharohar: मोहन गिरी बताते है कि इस मंदिर के नामकरण का किस्सा भी रोचक है. उन्होंने बताया कि जहां पर मंदिर स्थित है उस जगह को पंचरण नगरी के नाम से जाना जाता था और पांचों पांडव ने मिलकर स्थापना की थी. इसीलिए इस मंदिर का नाम पचरननाथ महादेव मंदिर पड़ा. आज के समय इसको पुराने महादेव पचरननाथ के नाम से लोग जानते है.गोंडा: उत्तर प्रदेश गोंडा जिला मुख्यालय से लगभग 23 से 35 किलोमीटर दूरी पर स्थित है पचरन नाथ महादेव मंदिर स्थित है. भारत में ऐसे कई प्राचीन मंदिर हैं, जो अपनी आस्था और इतिहास के कारण लोगों के लिए खास महत्व रखते है. इन्हीं में से एक उत्तर प्रदेश गोंडा जिले में 5000 साल पुराना शिव मंदिर है. जिसे लेकर मान्यता है कि इसका संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. दूर-दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की कामना करते हैं.

लोकल 18 से बातचीत के दौरान स्थानीय मोहन गिरी के अनुसार यह शिव मंदिर सदियों पुराना है और इसकी स्थापना लगभग 5000 वर्ष पहले की गई थी. हालांकि मंदिर से जुड़ी कथाएं इससे भी कहीं अधिक प्राचीन मानी जाती है. कहा जाता है कि द्वापर युग में महाभारत काल में पांडव अपने वनवास के दौरान पांचो पांडव ने इस मंदिर की स्थापना की थी.

मंदिर का नाम क्यों पड़ा पचरननाथ मंदिर:मोहन गिरी बताते है कि इस मंदिर के नामकरण का किस्सा भी रोचक है. उन्होंने बताया कि जहां पर मंदिर स्थित है उस जगह को पंचरण नगरी के नाम से जाना जाता था और पांचों पांडव ने मिलकर स्थापना की थी. इसीलिए इस मंदिर का नाम पचरननाथ महादेव मंदिर पड़ा. आज के समय इसको पुराने महादेव पचरननाथ के नाम से लोग जानते है.

मंदिर का इतिहास काफी पुरानालक्ष्मण गिरि बताते है कि इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना और रोचक है. लेकिन आज तक किसी विभाग या पुरातत्व विभाग द्वारा यहां पर कभी नहीं आएगा ना किसी द्वारा इसकी जांच की गई क्योंकि यह हमारा धरोहर है और इसको संजो कर रखना चाहिए. इतनी पुरानी मंदिर और शिवलिंग अपने आप में अद्भुत है. इसीलिए पुरातत्व विभाग को यहां पर आना चाहिए और इस शिवलिंग के बारे में जांच करनी चाहिए. एक बोर्ड लगाना चाहिए कि कितना पुराना शिवलिंग है और कितनी पुरानी मंदिर है. हम लोग अपने पूर्वजों से सुनते जा रहे है कि यह काफी पुराना और ऐतिहासिक धरोहर है और मंदिर है. हम लोग को गर्व की बात है कि हमारे ग्राम सभा में इतनी पुरानी और ऐतिहासिक धरोहर मौजूद है.

शिवलिंग का अर्घ इतना बड़ालक्ष्मण गिरि बताते हैं कि जैसे ऊपर शिवलिंग दिख रहा है. उसी तरीके से 6 शिवलिंग इसके नीचे है. उन्होंने बताया कि इस शिवलिंग का अर्घ इतना बड़ा है कि पूरा शिवाला अर्ध पर रुका हुआ है और जो श्रद्धालु आते है अर्ध के ऊपर से ही परिक्रमा करते है. रामदेव गोस्वामी बताते है कि इस मंदिर में गोंडा के आसपास के जिलो समेत देश-विदेश से भारी संख्या में भक्त भगवान शंकर का आशीर्वाद लेने पहुंचते है. महाशिवरात्रि और सावन माह में यहां प्रतिदिन लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते है.

मधुमक्खियों का क्या है रहस्य?रामदेव गोस्वामी बताते हैं कि लगभग 20 साल पहले इस मंदिर पर जो भी आता था और जिसकी धरना या विचार गलत रहता था. उसको मधुमक्खियां काटने लगती थी. उन्होंने बताया कि इस मंदिर पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा रहता था. लेकिन एकाएक क्या हुआ कि यहां से सारी मधुमक्खियां गायब हो गई.About the AuthorManish Raiकाशी के बगल चंदौली से ताल्लुक रखते है. बिजेनस, सेहत, स्पोर्टस, राजनीति, लाइफस्टाइल और ट्रैवल से जुड़ी खबरें पढ़ना पसंद है. मीडिया में करियर की शुरुआत ईटीवी भारत हैदराबाद से हुई. अभी लोकल18 यूपी के कॉर्डिनेटर की…और पढ़ेंLocation :Gonda,Uttar PradeshFirst Published :December 16, 2025, 10:14 ISThomeuttar-pradeshगोंडा का पचरननाथ महादेव मंदिर, पांचों पांडवों ने की थी शिवलिंग की स्थापना

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