गोरखपुर में खाद्य विभाग की रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात पकड़ में आई है. इनसे लीवर और किडनी डैमेज हो सकती है. एलर्जी, पेट दर्द और पीलिया तक हो सकता है. अगर आप बाजार में मिलने वाली बिरयानी, लड्डू, पनीर या मसालों के शौकीन हैं, तो अब सतर्क हो जाना जरूरी है. खाद्य सुरक्षा विभाग की हालिया जांच रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है. गोरखपुर शहर की कई दुकानों पर बिक रहे खाद्य पदार्थों में खतरनाक मिलावट पाई गई है. दो महीने पहले लिए गए कुल छह नमूनों की रिपोर्ट फेल हो चुकी है. इस रिपोर्ट में सिंथेटिक रंग, खराब तेल, मसाले और मिलावटी पनीर जैसी गंभीर बातें सामने आई हैं, जो सीधे आपकी सेहत को प्रभावित कर सकती हैं.
जांच रिपोर्ट के अनुसार, जटाशंकर चौक स्थित एक प्रतिष्ठान से लिए गए बेसन लड्डू में खराब तेल का उपयोग मिला. जीरा पाउडर के नमूने में ‘वोलाटाइल ऑयल’ की मात्रा मानक से कम पाई गई, जिससे यह खराब साबित हुआ. बताया जा रहा है कि इस मसाले में गुजरात से लाई जा रही घास मिलाई जा रही है, जो एक बड़ा खाद्य अपराध है. खजनी से लिए गए पनीर के नमूने ने भी चिंता बढ़ाई है. पनीर में दुग्ध वसा की मात्रा केवल 42.1 प्रतिशत मिली, जबकि मानक 50 प्रतिशत है यानी पनीर पूरी तरह मिलावटी था.
सिंथेटिक रंग वाली बिरयानी
एक दुकान से ली गई वेज बिरयानी में सिंथेटिक रंग की पुष्टि हुई है. यह रंग खाने को चमकदार और स्वादिष्ट दिखाने के लिए मिलाया जाता है, लेकिन ये सेहत के लिए बेहद हानिकारक है. इसी तरह एक दुकान से लिए गए रिफाइंड सोयाबीन तेल के नमूने में एसिड वैल्यू काफी अधिक मिली, जिससे साबित होता है कि तेल को कई बार दोबारा गर्म कर उपयोग किया गया था. ये पेट और लीवर पर गंभीर असर डाल सकता है.
गोरखपुर के फिजिशियन के अनुसार, सिंथेटिक रंग और केमिकल युक्त खाद्य पदार्थ शरीर के लिवर और किडनी पर सीधा असर डालते हैं. ऐसे मिलावटी खाने से एलर्जी, पेट दर्द, ऐंठन और पीलिया तक हो सकता है. सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा डॉ. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि छह नमूनों की रिपोर्ट फेल हुई है. सभी मामलों में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत न्यायालय में वाद दायर किए जाएंगे. मिलावटखोरों पर कार्रवाई लगातार जारी रहेगी.

