ग्रेटर नोएडा की गौर सानिध्य सोसाइटी ने प्लास्टिक प्रदूषण को अवसर में बदलकर एक अनोखी मिसाल पेश की है. सोसाइटी की महिलाओं ने तीन साल पहले एक छोटी-सी पहल शुरू की थी, जिसका लक्ष्य घरों से निकलने वाले प्लास्टिक कचरे को अलग करना और उसे रीसाइक्लिंग के लिए देना था. आज यह पहल एक बड़े पर्यावरण अभियान में बदल चुकी है. इस मुहिम की बदौलत प्लास्टिक कचरे से बनी बेंच, कुर्सियां, मेज, फूलदान और झूले सोसाइटी की सुंदरता बढ़ा रहे हैं।
इस अभियान की शुरुआत 15 जागरूक महिलाओं ने मिलकर की थी. इनमें अंजलि गुप्ता, राजश्री गुप्ता, सुमन भारद्वाज, गीता गुप्ता, मंजू और अर्चना जैसी महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने अलग-अलग टावरों की जिम्मेदारी उठाकर घर-घर तक संदेश पहुंचाया. शुरुआती दिनों में लोगों को प्लास्टिक अलग करके रखने के लिए प्रेरित करना आसान नहीं था, लेकिन महिलाओं के लगातार प्रयासों ने धीरे-धीरे सभी निवासियों को इस मुहिम का हिस्सा बना दिया. आज सोसाइटी के 300 से अधिक लोग इस अभियान में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।
हर सप्ताह निवासी अपने घरों से प्लास्टिक कचरा अलग करके निर्धारित स्थल पर जमा करते हैं. इसके बाद रीसाइक्लिंग कंपनी उस प्लास्टिक को उठाकर पुनर्चक्रित करती है. सोसाइटी में हर सप्ताह लगभग 100 किलो प्लास्टिक कचरा जमा होता है और अब तक 11000 किलो यानी 11 टन से अधिक प्लास्टिक रीसाइक्ल किया जा चुका है. यह आंकड़ा अपने आप में बताता है कि यह अभियान कितना प्रभावी साबित हुआ है।
सोसाइटी में लगी प्लास्टिक की बेंचें, कुर्सियां और झूले आज सभी की आकर्षण का केंद्र हैं. बच्चे भी इन झूलों का आनंद लेते हुए पर्यावरण संरक्षण का महत्त्व समझते हैं. अभियान को और मजबूत बनाने के लिए सोसाइटी ने ‘Mi-10 मिशन’ भी लॉन्च किया, जिसके तहत हर सदस्य को कम से कम 10 किलो प्लास्टिक रीसाइक्लिंग के लिए देने का लक्ष्य दिया गया. बड़ी संख्या में लोग इस लक्ष्य को पूरा कर चुके हैं।
ग्रेटर नोएडा की गौर सानिध्य सोसाइटी की इस अनोखी पहल ने पूरे शहर को प्रेरित किया है. यह सोसाइटी एक ऐसा उदाहरण है कि कैसे एक छोटी सी पहल से बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है.

