कानपुर : उत्तर प्रदेश में कड़कनाथ मुर्गा की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (CSA) ने कड़कनाथ की विशेष प्रजाति विकसित की है, जिसने न सिर्फ इसकी पहचान मजबूत की है बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाई है.
कड़कनाथ मुर्गा मूल रूप से मध्य प्रदेश के झाबुआ और धार जिले से संबंधित माना जाता है. वहीं से इसकी लोकप्रियता पूरे देश में फैलनी शुरू हुई. अब CSA के संरक्षण और उन्नत स्ट्रेन तैयार करने के प्रयासों की बदौलत यूपी के किसानों ने भी बड़े पैमाने पर इसका पालन शुरू कर दिया है. CSA के वैज्ञानिकों के अनुसार कड़कनाथ का पूरा शरीर, सिर, पंख, त्वचा और पंजे तक गहरे काले रंग का होता है. इस रंग का प्रमुख कारण शरीर में आयरन की अधिकता माना जाता है. यही अनोखी बनावट इसे सामान्य मुर्गों से पूरी तरह अलग पहचान देती है.
कोरोनाकाल के बाद बढ़ी मांग
कोरोना काल में कड़कनाथ की लोकप्रियता में अचानक भारी उछाल देखा गया. उस समय इसे लेकर यह दावा किया गया कि इसका सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. हालांकि इस दावे की अब तक वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इसके स्वाद और पोषण को लेकर लोग इसे बेहद लाभकारी मानते हैं. इस खास नस्ल में विटामिन B1, B2, B6, B12, विटामिन E, कैल्शियम और नियासिन की मात्रा अधिक पाई जाती है. कई लोग इसे सामान्य चिकन की तुलना में ज्यादा पौष्टिक बताते हैं और कहते हैं कि इसमें प्रोटीन की मात्रा भी अधिक होती है.
कड़कनाथ के अंडों की अलग पहचान
कड़कनाथ के अंडे भी बाजार में अपनी खास पहचान बनाए हुए हैं. आकार में भले ही ये सामान्य अंडों से छोटे हों, लेकिन इनकी कीमत कहीं अधिक होती है. आमतौर पर इसका अंडा 15 से 20 रुपये में बिकता है. इसका रंग क्रीम या हल्का भूरा होता है और जर्दी अधिक गहरी दिखाई देती है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह प्रोटीन से भरपूर होती है. अधिकतर अंडे पोल्ट्री फार्मिंग के लिए उपयोग किए जाते हैं क्योंकि कड़कनाथ के चूजों की मांग लगातार बढ़ रही है.
सामान्य मुर्गों की तुलना में दुगनी कीमत
कीमत के मामले में भी कड़कनाथ काफी आगे है. जहां सामान्य मुर्गे की कीमत 400–500 रुपये तक होती है, वहीं कड़कनाथ 800–1000 रुपये तक आसानी से बिक जाता है. CSA द्वारा विकसित प्रजाति का विशेष लाभ यह है कि यह बेहतर स्वास्थ्य, अच्छा वजन और ऊंची बाजार कीमत दिलाती है. इसका वजन 2.5 से 3 किलो तक पहुंच सकता है, जो सामान्य मुर्गे के बराबर है. सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह मुर्गा 40–42 दिनों में ही बाजार के लिए तैयार हो जाता है, जिससे किसानों को कम समय में ज्यादा लाभ मिलता है.
यूपी के किसानों के लिए नया अवसर
आज यूपी के आगरा, मेरठ, लखनऊ और कई आसपास के जिलों में किसान CSA से प्रशिक्षण लेकर कड़कनाथ पालन शुरू कर रहे हैं. यह मुर्गा अब पूरे प्रदेश में न सिर्फ नई पहचान बना रहा है, बल्कि किसानों के लिए नए आर्थिक अवसर भी लेकर आया है.

