उत्तर प्रदेश में एक से बढ़कर एक बाहुबली डॉन पैदा हुए लेकिन 90 के दशक में उत्तर प्रदेश में जो खौफ श्रीप्रकाश शुक्ला का था, वह पूरे उत्तर प्रदेश में वैसा खौफ फिर दोबारा किसी और का नहीं हो पाया. श्रीप्रकाश शुक्ला का खौफ ऐसा था कि मात्र 24 साल की उम्र में ही वह उत्तर प्रदेश का सबसे मोस्ट वांटेड अपराधी बन चुका था. यहां तक कि उसने यूपी के सिटिंग सीएम कल्याण सिंह की सुपारी भी ले ली थी. श्रीप्रकाश शुक्ला के नाम का खौफ केवल यूपी तक ही सीमित नहीं था, बल्कि बिहार में भी उसका साम्राज्य पनपा हुआ था।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से अपराध जगत में अपनी जमीन तैयार करने वाला गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला एक वक्त में खौफ का दूसरा नाम बन गया था. इस गैंगस्टर को मौत के घाट उतारने के लिए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने देश में पहली बार स्पेशल टास्क फोर्स (यूपी एसटीएफ) का गठन किया था. उस दौर के कई पुलिस अफसर इस बात की तस्दीक करते हैं कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी ले ली थी. सीएम तक जब यह बात पहुंची उसके बाद ही उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए एसटीएफ का गठन किया गया था।
श्रीप्रकाश शुक्ला का जन्म 6 अक्टूबर 1973 में गोरखपुर में हुआ था. श्रीप्रकाश शुक्ला ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गोरखपुर से ही की थी. और इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई अपने स्थानीय स्कूल से की थी. श्री प्रकाश शुक्ला देखने में बहुत ही स्मार्ट और हैंडसम था. वह हमेशा ब्रांडेड कपड़े, जूते और चश्मे पहनता था. उसे बंदूकों का बहुत शौक था. लेकिन जैसे ही श्रीप्रकाश शुक्ला गोरखपुर यूनिवर्सिटी में दाखिला लेता, उससे पहले ही उसका दाखिला जुर्म की दुनिया से हो गया. 19 साल की उम्र में ही श्रीप्रकाश शुक्ला ने क्राइम की दुनिया में कदम रख दिया.
श्री प्रकाश शुक्ला की पहली हत्याकुश्ती का शौकीन शुक्ला अपने गांव का जाना-माना पहलवान था. उसने वर्ष 1993 में पहली बार, राकेश तिवारी नामक एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी. उसका जुर्म बस इतना था कि उसने शुक्ला की बहन से छेड़छाड़ की थी. जिसके चलते श्री प्रकाश ने उसे मौत के घाट उतार दिया था. इस वजह से वह अपनी आगे की पढ़ाई नहीं कर सका. बिहार और उत्तर प्रदेश में श्रीप्रकाश शुक्ला का नाम आतंक का दूसरा नाम बन चुका था. माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला अपने पास हर वक्त AK-47 राइफल रखता था. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, उसके खात्मे के लिए पुलिस ने जो अभियान चलाया, उस पर करीब एक करोड़ रुपए खर्च हुए थे. श्री प्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर अभी तक का सबसे खर्चीला पुलिस मिशन कहा जा सकता है।
श्री प्रकाश शुक्ला ने अपने गैंग में एक समय में 3 लोगों से ज्यादा सदस्य नहीं रखता था. इस वजह से पुलिस को उस तक पहुंचने में काफी परेशानी हो रही थी. हालांकि 23 सितंबर 1998 बीजेपी के मौजूदा सांसद साक्षी महाराज की हत्या करने के इरादे से दिल्ली पहुंचे. इसके बाद कल्याण सिंह ने उत्तर प्रदेश में स्पेशल टास्क फोर्स यानी एसटीएफ का गठन किया. जिसने श्रीप्रकाश शुक्ला के आतंक को खत्म करने की नींव तैयार की. सितंबर 1998 में उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने गाजियाबाद में श्रीप्रकाश शुक्ला का एनकाउंटर कर दिया.

