उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 250 किलोमीटर दूर स्थित बरेली के प्रसिद्ध मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुगल शासकों और औरंगजेब को क्रूर बताने वाले बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है. मौलाना ने इसे “तारीखी हकीकत के पूरी तरह खिलाफ” करार देते हुए औरंगजेब और मुगल बादशाहों को दयालु और रहमदिल शासक बताया है.
मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने कहा, “मुगल बादशाहों और खासकर औरंगजेब ने कभी देश को नुकसान नहीं पहुंचाया. वे बड़े दयालु और इंसानियत के पुजारी थे. हिंदू-मुस्लिम के बीच एकता और भाईचारा कायम करने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा. मंदिरों के रखरखाव के लिए इन्होंने जमीन और जायदाद वक्फ की थी.” उन्होंने आगे कहा कि इतिहास को अंग्रेजों ने जानबूझकर तोड़-मरोड़ कर लिखा और पढ़ाया, जिससे मुगल शासकों की छवि खराब हुई.
मौलाना ने कहा कि औरंगजेब और अन्य मुगल शासकों ने कभी किसी धर्म के खिलाफ भेदभाव नहीं किया, बल्कि सबको साथ लेकर चले. उन्होंने कहा कि आज हम आपस में लड़ने का काम कर रहे हैं. एक दौर वो भी था जब 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन में हम साथ लड़े थे, लेकिन अंग्रेजों ने ऐसा फुट डाला कि हम आज भी लड़ रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि किसी भी मुग़ल शासक ने हिंदू-मुसलमान को लड़ाया नहीं. आज के मुसलमान से मुग़ल शासकों का क्या लेनादेना है. यह विभाजन की राजनीति है.
मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी बरेली के प्रमुख सुन्नी धर्मगुरुओं में से एक हैं और अक्सर धार्मिक-सामाजिक मुद्दों पर बेबाक राय रखते हैं. उनके इस बयान से एक बार फिर इतिहास और मुगल शासकों को लेकर चल रही बहस ने तूल पकड़ लिया है. वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पिछले काफी समय से अपने भाषणों में मुगल शासकों और खासकर औरंगजेब को आक्रांता और क्रूर बताते रहे हैं. मौलाना का यह बयान सीधे तौर पर मुख्यमंत्री के उस स्टैंड के खिलाफ माना जा रहा है.

