लखनऊ हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने डीएम बलरामपुर पर छह वर्षों तक बार-बार आदेश देने के बावजूद जवाबी हलफनामा न दाखिल करने पर 11 हज़ार रुपये का हर्जाना लगा दिया है. कोर्ट ने इसे प्रशासनिक उदासीनता और असहयोग की पराकाष्ठा बताया है. यह पूरा मामला वर्ष 2019 में दायर की गई एक जनहित याचिका से जुड़ा हुआ है, जिसमें एक अंत्येष्टि स्थल पर शेड निर्माण की मांग की गई थी.
हाईकोर्ट ने पहली बार 8 नवंबर 2019 को डीएम बलरामपुर को ‘लघु प्रतिउत्तर शपथ पत्र’ दाखिल करने का निर्देश दिया था. लेकिन इसके बाद भी कई अवसर दिए जाने के बावजूद हलफनामा दाखिल नहीं किया गया. कोर्ट ने डीएम को निम्न तारीखों पर भी समय दिया, 22 नवंबर 2019, 6 दिसंबर 2019, 5 मार्च 2020, लेकिन फिर भी छह वर्ष बाद तक कोई जवाब कोर्ट में नहीं दिया गया. अधिकारियों के इस रवैये पर हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी प्रकट की. कोर्ट ने कहा कि असहयोग पूरी तरह अस्वीकार्य है और सरकारी अधिकारियों की ओर से न्यायालय के आदेशों के प्रति ऐसा उदासीन और असहयोगपूर्ण रुख अस्वीकार्य है. डीएम द्वारा छह साल तक हलफनामा न देने को कोर्ट ने न्यायिक प्रक्रिया में बाधा बताया और कड़ा कदम उठाते हुए हर्जाना लगाने का आदेश दिया.
हाईकोर्ट ने डीएम बलरामपुर पर 11,000 रुपये का व्यक्तिगत हर्जाना लगाया है, जो सीधे याचियों को दिया जाएगा. याचिकाकर्ताओं की मांग पर आगे की कार्यवाही जारी है और कोर्ट ने प्रशासन को गंभीरता से जिम्मेदारी निभाने की सलाह दी है.

