अयोध्या में बना श्रीराम मंदिर दुनिया भर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. यह दिव्य धाम पूरी तरह पत्थरों से निर्मित है, जिसमें किसी भी तरह के लोहे का उपयोग नहीं किया गया है. यह अद्भुत वास्तुकला, भव्यता और आध्यात्मिक गरिमा के कारण विश्वभर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. यह दिव्य धाम पूरी तरह नागर शैली में तैयार किया गया है, जो भारतीय परंपरा और प्राचीन शिल्पकला की उत्कृष्ट झलक प्रस्तुत करता है. ट्रस्ट के अनुसार, यह सम्पूर्ण निर्माण देवीय शक्ति की प्रेरणा से साकार हुआ है, जिसमें हर पत्थर भारतीय संस्कृति का गौरव समेटे हुए है.
इस भव्य मंदिर का निर्माण पूरी तरह तराशे गए पत्थरों से किया गया है. विशेष बात यह है कि पूरे परिसर में लोहे का बिल्कुल भी उपयोग नहीं हुआ है. पत्थरों को जोड़ने के लिए केवल तांबे की कुंजियां और क्लैम्पिंग का इस्तेमाल किया गया है, जिससे मंदिर की मजबूती और स्थायित्व कई गुना बढ़ जाता है. यह प्राचीन भारतीय मंदिर निर्माण की वैज्ञानिक पद्धति का जीवंत उदाहरण है.
400 स्तंभों पर खड़ा है मंदिर
मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर बाल रूप में रामलला विराजमान हैं, जहां भक्तों को उनके साक्षात दर्शन मिलते हैं. वहीं, प्रथम तल पर राजाराम, माता सीता, चारों भाइयों और देवगणों के साथ विराजमान हैं, जो भक्तों को आशीर्वाद और सांत्वना प्रदान करते हैं. परिसर में रामायण काल से जुड़े ऋषि-मुनियों और विभिन्न देवी-देवताओं के भी मंदिर बनाए गए हैं, जिन पर नागर शैली की उत्कृष्ट नक्काशी देखने को मिलती है. इस विशाल मंदिर की लंबाई लगभग 350 फीट, चौड़ाई 250 फीट, और ऊंचाई 161 फीट है. पूरा ढांचा 400 विशाल पत्थर के स्तंभों पर खड़ा है, जिन पर की गई नक्काशी भारतीय कारीगरों की अद्भुत कला और कौशल का प्रमाण है.
युगों तक बना रहेगा श्रद्धा का केंद्र
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि यह मंदिर पूरी तरह पत्थरों से बना एक अनूठा और अद्वितीय धाम है, जो भारतीय संस्कृति, आस्था और परंपरा का गौरवपूर्ण प्रतीक है. अयोध्या का यह दिव्य मंदिर आने वाले कई युगों तक श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बना रहेगा.

