जोहान्सबर्ग: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जोहान्सबर्ग में आयोजित G20 नेताओं के सम्मेलन में अपनी उपस्थिति से इनकार कर दिया है। उनका आरोप है कि कुछ सफेद दक्षिण अफ़्रीकी लोगों के ख़िलाफ़ रacially विभाजनकारी व्यवहार किया जा रहा है। इस बीच, दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफ़ोसा ने एक बयान में कहा है कि उन्होंने पहले ही घोषणा की थी कि वह एक ‘खाली कुर्सी’ को G20 की अध्यक्षता सौंपेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रवक्ता एना केली ने दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफ़ोसा पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि दक्षिण अफ़्रीका ने G20 के सम्मेलन के समापन समारोह में अमेरिकी दूतावास की प्रतिनिधिमंडल को शामिल होने से इनकार कर दिया है। केली ने कहा है कि दक्षिण अफ़्रीका ने G20 के नेताओं के घोषणापत्र में एक महत्वपूर्ण बिंदु को शामिल नहीं किया है, जो कि क्रिश्चियन परेशानी को लेकर है।
दक्षिण अफ़्रीका के मुख्य रब्बी, डॉ. वॉरेन गोल्डस्टीन ने भी G20 पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि G20 के घोषणापत्र में एक महत्वपूर्ण बिंदु को शामिल नहीं किया गया है, जो कि क्रिश्चियन परेशानी को लेकर है। उन्होंने कहा है कि G20 के नेताओं ने इस मुद्दे पर कोई भी बयान नहीं दिया है, जो कि एक बड़ा मानवाधिकार का मुद्दा है।
दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफ़ोसा ने एक बयान में कहा है कि उन्होंने पहले ही घोषणा की थी कि वह एक ‘खाली कुर्सी’ को G20 की अध्यक्षता सौंपेंगे। उन्होंने कहा है कि उन्होंने G20 के नेताओं के घोषणापत्र में एक महत्वपूर्ण बिंदु को शामिल नहीं किया है, जो कि क्रिश्चियन परेशानी को लेकर है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान में कहा है कि उन्होंने G20 के नेताओं के घोषणापत्र में एक महत्वपूर्ण बिंदु को शामिल नहीं किया है, जो कि क्रिश्चियन परेशानी को लेकर है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने G20 के नेताओं को इस मुद्दे पर कोई भी बयान देने के लिए कहा है, लेकिन उन्होंने कोई भी बयान नहीं दिया है।
इस बीच, G20 के नेताओं ने एक बयान में कहा है कि उन्होंने G20 के नेताओं के घोषणापत्र में एक महत्वपूर्ण बिंदु को शामिल नहीं किया है, जो कि क्रिश्चियन परेशानी को लेकर है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने G20 के नेताओं को इस मुद्दे पर कोई भी बयान देने के लिए कहा है, लेकिन उन्होंने कोई भी बयान नहीं दिया है।
गौरतलब है कि G20 के नेताओं के घोषणापत्र में एक महत्वपूर्ण बिंदु को शामिल नहीं किया गया है, जो कि क्रिश्चियन परेशानी को लेकर है। इस मुद्दे पर G20 के नेताओं ने कोई भी बयान नहीं दिया है, जो कि एक बड़ा मानवाधिकार का मुद्दा है।
इस मामले में G20 के नेताओं को अपने बयान में स्पष्टता लानी होगी। उन्हें इस मुद्दे पर अपना स्पष्टीकरण देना होगा कि उन्होंने क्यों इस मुद्दे पर कोई भी बयान नहीं दिया है।

