Uttar Pradesh

सिर्फ 10 मिनट में बनाएं बिना चीनी वाला हेल्दी और टेस्टी मुरब्बा, ट्राई करें ये खास रेसिपी – उत्तर प्रदेश समाचार

बिना चीनी वाला आंवला मुरब्बा: अगर आप मीठा खाने से डरते हैं लेकिन कुछ हेल्दी और स्वाद से भरपूर खाना चाहते हैं, तो बिना चीनी वाला आंवला मुरब्बा आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है. यह सिर्फ 10 मिनट में बन जाता है, लंबे समय तक खराब नहीं होता और डायबिटीज वालों के लिए भी सुरक्षित माना जाता है.

इस मुरब्बे में आंवले की प्राकृतिक मिठास और गुड़/शहद का हल्का स्वाद मिलता है जिससे यह डायबिटीज वाले लोगों के लिए भी सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इसमें शुगर स्पाइक नहीं होता. यह हेल्दी विकल्प आजकल सबसे ज्यादा पसंद किया जा रहा है और इसका स्वाद बाजार से कहीं बेहतर होता है.

इस मुरब्बे को बनाने के लिए बहुत कम चीजें चाहिए जैसे कि ताजे आंवले, थोड़ा गुड़ या शहद, दालचीनी, इलायची और लौंग. आंवलों को हल्का उबालकर नरम किया जाता है और बीज निकालकर छोटे टुकड़े किए जाते हैं. फिर इसे शहद या गुड़ में हल्की आंच पर पकाया जाता है ताकि ग्लेज बन जाए. इसमें चीनी बिल्कुल नहीं डाली जाती जो इसकी सबसे खास बात है.

सबसे पहले आंवलों को अच्छी तरह धोकर हल्का उबाल लें. बीज निकालकर टुकड़े करें और पैन में शहद/गुड़ डालकर गर्म करें. अब इसमें आंवला और मसाले डालकर 4–5 मिनट धीमी आंच पर पकाएं. जब इसका टेक्सचर मुरब्बे जैसा दिखने लगे तब गैस बंद कर दें. यह 10 मिनट में पूरी तरह तैयार हो जाता है और स्वाद बाजार से कहीं बेहतर होता है.

इस मुरब्बे में चीनी बिलकुल नहीं होती इसलिए शुगर लेवल अचानक नहीं बढ़ता. आंवला फाइबर और विटामिन सी से भरपूर होता है जो शरीर में ग्लूकोज को नियंत्रित रखने में मदद करता है. इस मुरब्बे में शहद और गुड़ प्राकृतिक मिठास देते हैं जिससे स्वाद भी मिलता है और स्वास्थ्य भी बना रहता है.

डायबिटीज वाले लोग इसे सीमित मात्रा में सुरक्षित रूप से खा सकते हैं लेकिन इसका सेवन ज्यादा मात्रा में नहीं करना चाहिए. बिना चीनी वाला मुरब्बा थोड़ा नाजुक होता है इसलिए इसे सही तरीके से रखना जरूरी है. इसे हमेशा साफ और सूखे ग्लास जार में ही रखें. प्लास्टिक में ना रखें नमी वाली जगह से बचाएं और फ्रिज में रखें. इससे इसका स्वाद लंबे समय तक एक जैसा रहता है. एक बार खोलने के बाद 6–8 हफ्ते तक आसानी से चल जाता है. चम्मच हमेशा सूखी ही इस्तेमाल करें.

इसे दिन में एक बार भोजन के बाद एक छोटा चम्मच लेना सबसे अच्छा माना जाता है. ज्यादा मात्रा लेने पर पेट की गर्मी या ढीलापन हो सकता है. बच्चों और बुजुर्गों को आधी मात्रा देना बेहतर है. इसे गुनगुने पानी या दूध के साथ लेने से फायदे और बढ़ जाते हैं. इसे सीमित मात्रा में लिया जाए तो यह पूरी तरह सुरक्षित और काफी पौष्टिक है.

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