Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश में एक मंदिर है जहां हिंदू और मुसलमान एक साथ पूजा करते हैं, इस मंदिर का राज़ अद्भुत है।

यूपी का एक ऐसा मंदिर, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों करते हैं पूजा, जानें रहस्य

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एक ऐसा मंदिर है, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों बड़ी श्रद्धा के साथ जाते हैं और पूजा पाठ करते हैं। यह मंदिर पहलवान वीर बाबा के नाम पर है, जो एक पवित्र स्थल है जहां दोनों धर्मों के लोग अपनी-अपनी आस्था और विश्वास के अनुसार पूजा और पाठ करते हैं।

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि दोनों ही धर्म के लोग यहां बड़ी आस्था के साथ आते हैं। बस फर्क इतना है कि हिंदू धर्म से जुड़े लोग भगवा या अन्य रंग का चादर चढ़ाते हैं, वही मुस्लिम धर्म के लोग हरे रंग का चादर चढ़ाते हैं। लोग अपनी-अपनी आस्था और विश्वास के अनुसार यहां पर पूजा और पाठ करते हैं।

इस जगह को लेकर लोगों के बीच मान्यता है कि पहलवान वीर बाबा के दर्शन करने जो कोई भी अच्छे मन और श्रद्धा से जाता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह मंदिर लोगों की आस्था और विश्वास का अटूट केंद्र बन चुका है।

यह मंदिर लगभग 100 वर्ष पुराना है, लेकिन इसके महत्व के बारे में लोगों को तब मालूम हुआ जब अंग्रेजों ने सुल्तानपुर से रेल ट्रैक बिछाना चालू किया। उस दरमियां दिन में अंग्रेजों द्वारा रेल की पटरी बिछाई जाती, लेकिन रात में वह उखड़ जाती थी। इसके चलते अंग्रेज काफी परेशान हो गए। ऐसे में दिल्ली में बैठे रेल अफसर को बाबा ने सपने में यह बताया कि यहां पर मेरा स्थान है। मेरे स्थान को पहले ठीक करवाया जाए और स्थान से थोड़ा हटकर रेल ट्रैक बिछाया जाए तभी यह काम संपन्न हो सकता है।

दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु पहलवान वीर बाबा मंदिर में दर्शन करने के लिए काफी दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां पर सुल्तानपुर जिले समेत आसपास के जिले अमेठी, रायबरेली, जौनपुर, प्रतापगढ़, अयोध्या, अंबेडकर नगर आदि जगह के श्रद्धालु भी दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर लोगों की आस्था और विश्वास का अटूट केंद्र बन चुका है।

इस मंदिर में प्रसाद के रूप में लड्डू पेड़ा और खुरमा आदि चढ़ाया जाता है। प्रत्येक गुरुवार को यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुड़ती है। अगर आप भी पहलवान वीर बाबा मंदिर पहुंचकर बाबा के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको सुल्तानपुर शहर से लगभग 2 किमी दूर पयागीपुर स्थित आईटीआई कालेज प्रांगण के ठीक बगल यह मंदिर स्थित है। यहां पहुंचकर आप दर्शन कर सकते हैं। अगर आप खाली और शोरगुल से बचना चाहते हैं तो आपको गुरुवार के अलावा अन्य किसी भी दिन आना चाहिए। अन्य दिन भीड़ नहीं रहती।

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