Uttar Pradesh

आपको यह देखकर हैरानी होगी कि आगरा में स्थित इस मुगल कालीन विरासत स्थल की क्या हालत है, जहां सारा इलाका गंदगी से भरा हुआ है : उत्तर प्रदेश समाचार

आगरा में मुगलकालीन धरोहर बदहाली में धंस रही

आगरा में मुगलकालीन धरोहरों के लिए विश्वभर में जाना जाता है. ताजमहल से लेकर कई किले और मकबरे यहां की ऐतिहासिक पहचान हैं. लेकिन इन्हीं धरोहरों के बीच बोदला में स्थित एक इमारत ऐसी भी है जिसे बादशाह अकबर की पहली पत्नी रुकैया बेगम का मकबरा माना जाता है. यह इमारत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में नहीं है, जिसके कारण इसकी स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है. इमारत की दीवारों की ईंटें बाहर निकलने लगी हैं, सीमेंट और चुना लगभग गायब हो चुका है. गुम्बद की बनावट ताजमहल के गुम्बद से मिलती-जुलती दिखाई देती है, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह किसी समय में बेहद आकर्षक और भव्य रही होगी.

बोदला सेक्टर 1 में बनी यह इमारत घनी आबादी के बीच स्थित है. स्थानीय लोगों ने इसे कूड़ा फेंकने का स्थान बना दिया है. चारों तरफ कूड़े के ढेर लगे रहते हैं और बदबू का माहौल बना रहता है. ऐसा प्रतीत होता है कि कई महीनों से इस क्षेत्र में सफाई नहीं हुई है. इतिहास से जुड़े इस स्थल तक पहुंचना भी आसान नहीं है क्योंकि रास्ते में कूड़ा, अवैध निर्माण और संकरी गलियाँ बाधा बनती हैं. आम लोगों को यह पता भी नहीं होता कि इस बदहाल संरचना के भीतर एक ऐतिहासिक मकबरा छिपा हुआ है.

मकबरे के अंदर का हिस्सा खंडहर में बदल चुका है. दीवारें टूट रही हैं, ऊपरी भाग से ईंटें गिर रही हैं और गुम्बद में भी दरारें उभर आई हैं. गर्दन यानी गुम्बद के नीचे का हिस्सा भी झड़ने लगा है जो इमारत की मजबूती के लिए खतरनाक संकेत है. इसके अलावा मकबरे के ऊपर पेड़-पौधे उग आए हैं जिनकी जड़ें ईंटों के बीच प्रवेश कर संरचना को और कमजोर कर रही हैं. यदि जल्द ही मरम्मत और संरक्षण का प्रयास नहीं किया गया तो यह इमारत पूरी तरह ध्वस्त हो सकती है और आगरा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर को हमेशा के लिए खो देगा.

स्थानीय लोग चिंतित लेकिन कार्रवाई का अभाव
स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार शिकायतें की गईं लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. कई इतिहासकारों और शोधकर्ताओं का भी मानना है कि यह मकबरा आगरा की विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका तत्काल संरक्षण आवश्यक है. आगरा में जहां ताजमहल और अन्य प्रसिद्ध धरोहरों की देखरेख होती है, वहीं ऐसी छिपी हुई ऐतिहासिक इमारतें उपेक्षित रह जाती हैं. यदि इस स्थल को संरक्षित किया जाए तो यह न केवल पर्यटन को बढ़ावा देगा बल्कि इतिहास प्रेमियों के लिए महत्वपूर्ण अध्ययन स्थल भी बन सकता है.

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