Last Updated:November 18, 2025, 21:11 ISTग्राम पंचायत जमकोहना की रहने वाली ज्योति ने लोकल 18 को बताया कि वह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत बने संतोषी प्रेरणा स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं. समूह की बैठक और प्रशिक्षण के दौरान उन्हें जैविक उर्वरक बनाने की जानकारी मिली.भारत कृषि प्रधान देश है और यहां की लगभग 80 प्रतिशत आबादी आज भी खेती पर निर्भर है. खेती को लाभदायक बनाने के लिए उर्वरकों की आवश्यकता हमेशा रहती है. ऐसे में अब ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं जैविक उर्वरक तैयार कर किसानों के लिए बड़ी मदद साबित हो रही हैं. लखीमपुर खीरी जिले की महिलाओं की ओर से तैयार किया गया यह जैविक उर्वरक न सिर्फ जनपद में, बल्कि आसपास के जिलों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. महिलाओं का कहना है कि इससे उनकी आमदनी बढ़ रही है और किसानों की फसल की गुणवत्ता भी बेहतर हो पा रही है.
ग्राम पंचायत जमकोहना की रहने वाली ज्योति ने लोकल 18 को बताया कि वह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत बने संतोषी प्रेरणा स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं. समूह की बैठक और प्रशिक्षण के दौरान उन्हें जैविक उर्वरक बनाने की जानकारी मिली. इसके बाद समूह की महिलाओं ने मिलकर उत्पादन शुरू किया, जो आज ‘परिवर्तन जैविक इकाई’ के नाम से बाजार में उपलब्ध है.
इन चीजों का उपयोग
महिलाओं की ओर से तैयार किए जा रहे इन उत्पादों में गोबर, नीम की पत्तियां, लहसुन और प्याज का उपयोग किया जाता है. इनसे जैविक उर्वरक, जीवनाशी और जैव कीटनाशक तैयार किए जा रहे हैं, जो फसल को पोषण देने के साथ-साथ कीटों से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं. ज्योति का कहना है कि उनकी इकाई में तैयार उत्पाद पूर्णतः जैविक होने के कारण मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और फसलों के उत्पादन में भी लाभ देते हैं.
समूह की सदस्य ज्योति बंसवार ने बताया कि वे किसानों को 66 रुपये प्रति लीटर की दर से यह जैविक उर्वरक उपलब्ध कराती हैं. इसके अलावा ‘मृदा संजीवनी’ नामक विशेष उत्पाद भी तैयार किया जा रहा है, जो मिट्टी की उर्वरक शक्ति को बढ़ाने में कारगर है. उन्होंने बताया कि मृदा संजीवनी का एक लीटर घोल एक एकड़ फसल के लिए पर्याप्त है. यह पौधों के लिए टॉनिक की तरह काम करता है और उत्पादन क्षमता बढ़ाता है.
जैविक खेती को दिया नया आयाम
महिलाओं की ओर से तैयार जैव कीटनाशक पौध रक्षक का काम करता है और फसलों को अनेक प्रकार के कीटों और रोगों से बचाता है. इस जैविक उर्वरक की मांग लखीमपुर खीरी के अलावा बहराइच जिले में भी काफी अधिक है. कई किसान इससे संतुष्ट होकर लगातार खरीदारी कर रहे हैं.
महिला समूह समय–समय पर विभिन्न प्रदर्शनियों में भी अपनी इकाई का स्टॉल लगाकर अधिक किसानों तक इसकी जानकारी पहुंचाते हैं. महिलाओं का कहना है कि यह उर्वरक किफायती होने के साथ पूरी तरह प्राकृतिक है, जिससे भूमि की सेहत सुधरती है और किसानों को रासायनिक उर्वरक पर निर्भर नहीं रहना पड़ता. ग्रामीण महिलाओं की इस पहल ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत की है, बल्कि क्षेत्र में जैविक खेती को भी नया आयाम दिया है.आर्यन सेठआर्यन ने नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई की और एबीपी में काम किया. उसके बाद नेटवर्क 18 के Local 18 से जुड़ गए.आर्यन ने नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई की और एबीपी में काम किया. उसके बाद नेटवर्क 18 के Local 18 से जुड़ गए. न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Lakhimpur,Kheri,Uttar PradeshFirst Published :November 18, 2025, 21:11 ISThomeuttar-pradeshNRLM की महिलाओं ने दिखाया दम; घर का गोबर बना कमाई का जरिया, किसानों को फायदा

