Success Story: कहते हैं कि प्यार इंसान को क्या से क्या बना देता है. कुछ ऐसा ही किस्सा है मऊ जनपद के मुहम्मदाबाद गोहना के रहने वाले डॉ. सुमंत गुप्ता के साथ हुआ, जिन्होंने अपने करियर का रास्ता सिर्फ इसलिए बदल दिया, क्योंकि वह अपने प्यार को खोना नहीं चाहते थे. बिजनेसमैन बनने का सपना रखने वाले सुमंत को पिता की शर्त और लड़की के प्यार ने डॉक्टर बना दिया. आज वही सुमंत हजारों जरूरतमंदों की मुफ्त सेवा कर समाज के लिए मिसाल बन चुके हैं
पढ़ाई के दौरान बनना चाहते थे बिजनेसमैन
8 अप्रैल 1990 को अरविंद कुमार गुप्ता के घर जन्मे डॉ. सुमंत गुप्ता ने अपनी शुरुआती शिक्षा मुहम्मदाबाद गोहना में ही पूरी की. उन्होंने बलदेव दास माध्यमिक विद्यालय से हाईस्कूल पास किया और टाउन इंटर कॉलेज से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की. पढ़ाई के दौरान उनका झुकाव व्यापार की ओर था. वे बिजनेस कर लोगों के बीच रहकर पहचान बनाना चाहते थे, लेकिन जिंदगी की किताब में एक नया मोड़ तब आया, जब 2010 में उनकी मुलाकात एक लड़की रचना गुप्ता से हुई.
प्यार पाने के लिए बने डॉक्टर
प्यार परवान चढ़ रहा था कि तभी उन्होंने घर पर इस रिश्ते का जिक्र कर दिया. पिता अरविंद गुप्ता को यह बात नागवार गुजरी. उन्होंने सुमंत को डांटते हुए कहा कि अगर इस लड़की से शादी करनी है तो पहले डॉक्टर बनकर दिखाओ. एमबीबीएस पास करने की शर्त रखी गई. प्यार की दीवानगी सुमंत को अपनी राह बदलने को मजबूर कर चुकी थी. पिता की शर्त और लड़की से शादी की चाहत के चलते उन्होंने बिजनेस के सपने को किनारे रख दिया और डॉक्टर बनने की ठान ली.
6 साल की कड़ी मेहनत के बाद बने डॉक्टर
2012 में सुमंत ने कठिन परिश्रम और लगन के दम पर केजीएमयू लखनऊ में एमबीबीएस (MBBS) में प्रवेश पा लिया. 6 साल की कड़ी मेहनत के बाद 2018 में उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर ली. इसके बाद 2019 में वह पोस्ट ग्रेजुएशन (PG) करने के लिए नई दिल्ली के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल पहुंचे. यहां से उच्च शिक्षा (PG) पूरी करने के बाद 2022 में भगवान महावीर हॉस्पिटल, नई दिल्ली में अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी और 2023 से मुहम्मदाबाद गोहना में केसरी राज हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और निशुल्क कैंप लगाकर लोगों की सेवाएं कर रहे हैं.
डॉक्टर बनने के बाद 2017 में उनकी अपने प्यार रचना गुप्ता से शादी हुई, लेकिन कुदरत को कुछ और मंजूर था. 2024 में डिलीवरी के दौरान उनकी मौत हो गई. तब से आज तक अपनी पत्नी को प्रेरणा मानकर वह लोगों की सेवाएं कर रहे हैं. हालांकि पत्नी की मौत के बाद लड़की के परिवारवालों ने फिर उसकी बहन से लड़के की शादी करा दी.
डॉक्टर बन लोगों की कर रहे मदद
डॉ. सुमंत बताते हैं कि डॉक्टर बनने की शुरुआत भले ही एक निजी कारण से हुई हो, लेकिन अब मरीजों की सेवा ही उनका सबसे बड़ा लक्ष्य बन चुका है. वे कहते हैं कि ईश्वर ने मुझे यह ज्ञान और क्षमता दी है तो इसे सिर्फ अपने तक सीमित रखना गलत होगा. जो लोग इलाज कराने में असमर्थ हैं, उनके लिए मेरा हर संभव सहयोग रहेगा.
आज डॉ. सुमंत गुप्ता समय-समय पर निशुल्क चिकित्सा शिविरों में शामिल होकर हजारों मरीजों की सेवा कर रहे हैं. उनका मानना है कि लोगों का विश्वास ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है. सच है कि प्यार कभी-कभी इंसान को बर्बाद नहीं, बल्कि बेहतर बना देता है. डॉ. सुमंत की कहानी इसका जिंदा उदाहरण है. बिजनेसमैन बनने का सपना भले ही टूट गया हो, लेकिन समाज को एक संवेदनशील और समर्पित डॉक्टर मिल गया.

