Uttar Pradesh

न हीटर, न रजाई…आदिवासी भीषण ठंड से बचने के लिए अपनाते हैं यह उपाय, जानकर रह जाएंगे हैरान

Last Updated:November 18, 2025, 13:10 ISTChitrakoot News: चित्रकूट के आदिवासी सीमित संसाधनों के बीच ठंड से पारंपरिक तरीके अपनाकर मुकाबला कर रहे हैं. धान का पैरा बिछाकर गर्माहट लेना, जंगल से लकड़ी जुटाकर आग तापना और बच्चों को कंबल में लपेटकर सुलाना उनके प्रमुख साधन हैं. कठिन हालात में भी ये परिवार हिम्मत से ठंड का सामना कर रहे हैं.चित्रकूट : ठंड का मौसम आते ही जहां एक ओर शहरी इलाकों में लोग रूम हीटर, मोटी रजाई और गर्म कपड़ों का सहारा लेते हैं, वहीं चित्रकूट के आदिवासी और ग्रामीण समाज के लोग इस ठंडी से बचने के लिए अपनी पारंपरिक और अनोखी विधियों का सहारा लेते हैं. उनके पास ऐसी सुविधाएं नहीं हैं जो आमतौर पर शहरों में उपलब्ध होती हैं, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति और संघर्ष की कहानी दिल को छूने वाली है.

बता दें  कि चित्रकूट के आदिवासी इलाकों में रहने वाले लोग जिनके पास सीमित संसाधन होते हैं, ठंड से बचने के लिए एकदम सरल और पुराने तरीके अपनाते हैं. उनका मानना है कि संसाधनों की कमी के बावजूद हम अपनी मेहनत और पारंपरिक उपायों से ठंड का सामना कर सकते हैं. घरों के बाहर आग जलाना, बिस्तर के नीचे घास का पैरा बिछाना और जंगल से लकड़ी इकट्ठा कर उसे जलाना यह सभी तरीके उनकी जीवनशैली का अब हिस्सा बन चुके हैं.

धान का पैरा बिछा ठंडी से बचाव 

वही गांव की आदिवासी महिला बिट्टी ने बताया कि वह भी अपने छोटे बच्चों के साथ ठंड से जूझ रही हैं, उन्होंने बताया कि हमारे पास बिस्तर के नीचे धान का पैरा लगाने के अलावा कोई और तरीका नहीं है, रात के समय बच्चों को ठंड लगती है, लेकिन जब पैरा बिछा देते हैं तो उसे हल्की गर्माहट मिल जाती है. इससे हम ठंड से बच जाते हैं. हम अपने बच्चों को सुरक्षित महसूस कराते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि हमारे पास ठंडी से बचने के लिए और कोई साधन नहीं है. हालांकि बिट्टी अपनी कठिन परिस्थितियों में भी अपनी छोटी सी उम्मीद से ठंड का सामना कर रही है.

आग जलाकर ठंड से बचाव

वहीं ठंड के बचाव के संबंध में गुलाबिया का कहना है कि हमारे पास खेती किसानी नहीं है. तो हमारे पास धान का पैरा भी नहीं होता है. बहुत से लोग उसको बिछाकर ठंडी से बच जाते हैं. लेकिन हमारे पास वो भी नहीं है. इस लिए हम जंगल से लकड़ी इकट्ठा करते हैं और उसे जलाकर बच्चों के साथ तापते हैं,अगर लकड़ी न मिले तो हम बच्चों को कंबल के अंदर लिपटा कर सुलाते हैं, ताकि ठंड से बच सकें. उनका मानना है कि यह हमारी मजबूरी है,क्योंकि हमारे पास इसके अलावा और कोई तरीका ठंड से बचने का नहीं है.Lalit Bhattपिछले एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. 2010 से अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की, जिसके बाद यह सफर निरंतर आगे बढ़ता गया. प्रिंट, टीवी और डिजिटल-तीनों ही माध्यमों में रिपोर्टिंग से ल…और पढ़ेंपिछले एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. 2010 से अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की, जिसके बाद यह सफर निरंतर आगे बढ़ता गया. प्रिंट, टीवी और डिजिटल-तीनों ही माध्यमों में रिपोर्टिंग से ल… और पढ़ेंन्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Chitrakoot,Uttar PradeshFirst Published :November 18, 2025, 13:09 ISThomeuttar-pradeshन हीटर, न रजाई….आदिवासी भीषण ठंड से बचने के लिए अपनाते हैं यह उपाय

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