उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में स्थित बारादरी भवन एक ऐतिहासिक धरोहर है, जो नवाबी दौर की झलक दिखाता है. यह भवन अवध के तत्कालीन नवाब आसिफुद्दौला द्वारा बनवाया गया था और इसका निर्माण 1775 से 1795 के बीच हुआ था. यह भवन नवाब का एक प्रिय स्थान था, जहां वे अपनी बेगम के साथ छुट्टियां बिताने आते और कुछ समय के लिए राज्य का संचालन भी यहीं से करते थे.
बारादरी का इतिहास बेहद दिलचस्प है. यह जगह कभी रियासतों की बैठकों और खास कार्यक्रमों के लिए इस्तेमाल होती थी. आज यह ऐतिहासिक धरोहर गोंडा जिले की पहचान बन चुकी है. आसपास का इलाका हरे-भरे पेड़ों और शांत माहौल से भरा है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है. बारादरी वजीरगंज सिर्फ एक पुरानी इमारत नहीं, बल्कि इतिहास का जिंदा नमूना है. यहां की खूबसूरत तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल होती हैं और जो लोग एक बार यहां आते हैं, वे इसकी सुंदरता और शांति के कारण बार-बार लौटना चाहते हैं.
बारादरी की वास्तुकला बेजोड़ है और इसकी सीढ़ियाँ सीधे कोंडर झील में उतरती हैं, जो इस स्थान की सुंदरता को और बढ़ाती हैं. इसे पहले ‘जमशेदबाग’ के नाम से जाना जाता था, पर अब यह ‘बारादरी’ के नाम से पूरे जिले में प्रसिद्ध है. बारादरी की बनावट बेहद खास है. इसमें बारह दरवाजे बने हैं, इसी वजह से इसे “बारादरी” कहा जाता है. इमारत की दीवारों पर की गई नक्काशी और पुराने जमाने की डिजाइन देखने लायक है. यहां आने वाले लोग इसकी कलाकारी और भव्यता को देखकर दंग रह जाते हैं।
जिला प्रशासन ने इस ऐतिहासिक भवन के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव तैयार किया है, और जल्द ही इसके लिए बजट भी आवंटित किया जाएगा. इस प्रयास से बारादरी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे यह स्थान स्थानीय और बाहरी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सके.

