Uttar Pradesh

दो हजार रुपये की लागत में पचास हजार रुपये की कमाई! जानें खेती से मालामाल होने का यह ‘फर्रुखाबादी फॉर्मूला’

फर्रुखाबाद के किसान अखिलेश ने पारंपरिक खेती छोड़कर गेंदा के फूलों की खेती कर मिसाल पेश की है. सिर्फ 2 हजार रुपये की लागत में एक बीघा खेत में गेंदा उगाकर उन्होंने 50 से 60 हजार रुपये तक की कमाई कर ली. स्थानीय बाजार में फूलों की भारी मांग और अच्छे दामों ने उनकी आय को कई गुना बढ़ा दिया है.

अगर इंसान ठान ले तो किस्मत बदलने में वक्त नहीं लगता. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है फर्रुखाबाद जिले के कोरी खेड़ा गांव के किसान अखिलेश ने, जिन्होंने परंपरागत खेती से हटकर फूलों की खेती को अपनाया और आज लाखों की आमदनी कर रहे हैं. अखिलेश ने सीजन के विपरीत गेंदा की खेती कर यह साबित कर दिया कि हौसला और नवाचार हो तो कम भूमि में भी बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है.

अखिलेश ने अपने एक बीघा खेत में मात्र दो हजार रुपए की लागत से गेंदा की फसल लगाई. लगभग 4 महीनों में फसल तैयार हुई तो उनकी मेहनत रंग लाई. शादी और त्योहारों के सीजन में फूलों की भारी मांग और बढ़ते दामों ने उनकी कमाई को कई गुना बढ़ा दिया. गेंदा के फूलों की बिक्री प्रति किलो 60 से 100 रुपए तक हो रही है, जिससे अखिलेश को सिर्फ एक बीघा खेत से करीब 60 हजार रुपए की कमाई हुई. खास बात यह है कि फसल की कटाई के तुरंत बाद उन्होंने उसी खेत में दूसरी फसल की बुवाई कर दी, जिससे वे एक ही सीजन में डबल फसल से लाभ कमा रहे हैं.

खेत में लगती है ग्राहकों की लाइन अखिलेश बताते हैं कि गेंदा की खेती उनके परिवार का पुश्तैनी पेशा है. वे पिछले 40 वर्षों से तीन बीघा ज़मीन पर गेंदा की खेती करते आ रहे हैं. गेंदा के पौधों को करीब दो मीटर की दूरी पर लगाते हैं, ताकि फूलों को पर्याप्त जगह मिल सके. जैसे ही पौधे पर फूल आने लगते हैं, उन्हें तोड़कर सीधे खेत से ही स्थानीय व्यापारी खरीद लेते हैं. इससे बाजार ले जाने की परेशानी भी नहीं रहती.

आज अखिलेश के खेत से न सिर्फ फर्रुखाबाद, बल्कि आसपास के जिलों से भी व्यापारी गेंदा खरीदने पहुंचते हैं. इस खेती से वे अब तक लाखों रुपए की आय अर्जित कर चुके हैं. उनका कहना है कि जमीन बड़ी हो या छोटी, फर्क नहीं पड़ता. अगर मेहनत और सही सोच हो तो हर किसान अपने खेत को ‘सोने की खान’ बना सकता है. गेंदा की खेती न केवल कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरक क्षमता को भी बढ़ाती है. यही वजह है कि आज अखिलेश जैसे किसान दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं और फर्रुखाबाद में फूलों की खेती अब नई पहचान हासिल कर रही है.

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