नोएडा के सेक्टर अल्फा-2 में नालों की बदबू और सड़कों पर गंदा पानी ने लोगों को परेशान कर रखा है. यह समस्या इतनी गंभीर है कि लोगों को यहां आने-जाने में भी दिक्कत हो रही है. नालियों की सफाई न होने से सड़कों पर लगातार गंदा पानी जमा रहता है, जिससे मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है. बच्चों और बुजुर्गों में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों को लेकर लोगों में डर का माहौल है.
स्थानीय निवासी इसे झुग्गी जैसी स्थिति बताते हुए नोएडा प्राधिकरण से जल्द सफाई और जलनिकासी की व्यवस्था सुधारने की मांग कर रहे हैं. अल्फा-2 के रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के अध्यक्ष सुभाष भाटी ने बताया कि उन्होंने इस समस्या की शिकायत कई बार स्वास्थ्य विभाग और प्राधिकरण के अधिकारियों से की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. उन्होंने कहा कि नालियों की सफाई न होने से सड़कों पर लगातार गंदा पानी जमा रहता है, जिससे मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है. बच्चों और बुजुर्गों में डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों को लेकर लोगों में डर का माहौल है।
अल्फा-2 के महासचिव एन पी सिंह ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी केवल कागज़ी कार्रवाई तक सीमित हैं. उन्होंने कहा कि मौके पर जाकर सफाई की वास्तविक स्थिति देखने की ज़रूरत है. एक निवासी ने बताया कि हर बार शिकायत करने पर आश्वासन मिल जाता है, लेकिन सफाई कर्मी केवल नाम मात्र का काम करके चले जाते हैं. बारिश या सीवर ओवरफ्लो होने पर पूरी सड़क पर गंदा पानी फैल जाता है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के महाप्रबंधक आर.के. भारती ने कहा कि क्षेत्र में लगातार सफाई अभियान चलाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अगर अल्फा-2 या किसी अन्य सेक्टर में ऐसी समस्या है, तो विशेष अभियान चलाकर उसका जल्द समाधान कराया जाएगा. प्राधिकरण की टीम को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करें और जहां जरूरत हो, तुरंत कार्रवाई करें.
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि नालियों की नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए और सड़कों पर बह रहे गंदे पानी को तुरंत निकाला जाए. साथ ही, स्वास्थ्य विभाग द्वारा मच्छर रोधी दवाओं का छिड़काव और फॉगिंग अभियान नियमित रूप से चलाने की भी अपील की गई है. ग्रेटर नोएडा जैसे आधुनिक शहर में स्वच्छता से जुड़ी ऐसी समस्याएं न केवल लोगों की परेशानी बढ़ा रही हैं, बल्कि शहर की छवि पर भी सवाल खड़े कर रही हैं. अब देखना यह होगा कि प्रशासन कितनी जल्दी इस समस्या का स्थायी समाधान कर पाता है.

