निर्भया केस में फांसी देने वाले जल्लाद पवन की बदहाली की कहानी
मेरठ: देश के गिने-चुने जल्लादों में से एक हैं निर्भया केस में चार दोषियों को फांसी देने वाले पवन जल्लाद. मगर, आज उन्हें अपना गुजारा करने के लिए सीएम योगी से गुहार लगाना पड़ रहा है. दरअसल, जल्लाद ने मानदेय की रकम बढ़ाने की मांग की है. निर्भया के दोषियों को फांसी पर चढ़ाने वाले जल्लाद पवन ने जिला कारागार के जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा को एप्लीकेशन लिखकर मांग की है कि उनका मानदेय बढ़ाया जाए.
उन्होंने कहा कि 10 हजार रुपये मिल रहे हैं, जिससे गुजारा करना काफी मुश्किल हो रहा है. इसलिए सरकार से गुहार है कि मानदेय की रकम 25,000 कर दें. जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल प्रशासन ने पवन जल्लाद की गुहार शासन तक भेज दी है. अब देखने वाली बात होगी कि शासन जल्लाद के मानदेय बढ़ाने को लेकर क्या फैसला लेता है.
पवन जल्लाद ने बताया कि 20 मार्च 2020 को उन्होंने निर्भया केस के चार आरोपियों को फांसी दी थी. उसके बाद से देश में कोई फांसी नहीं हुई है. हालांकि सजा तो फांसी की सुनाई गई, लेकिन बीते 5 सालों को किसी को फांसी पर चढ़ाया नहीं गया. उन्होंने कहा कि फांसी दी जानी हो या न हो, मगर मेरठ की जेल में हाजिरी जरूर लगाते रहते हैं.
उन्होंने बताया कि फांसी के बाद क्या प्रोसेस होती है. पवन जल्लाद ने कहा कि 15 मिनट के अंदर ही फांसी दिए जाने पर शख्स ठंडा पड़ जाता है. मगर, 30 मिनट यानी आधा घंटे बाद हार्टबीट जांचने के बाद ऐलान किया जाता है कि दोषी के प्राण पखेरु हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें इंतजार रहता है कि कब उन्हें किसी अन्य दोषी को फांसी देने के लिए बुलावा मिले. वह आर्थिक रूप से बेहद परेशान है.
उन्होंने आगे कहा कि मेरठ जिला कारागार से उन्हें मात्र 10 हजार रुपए मिलते है. ये मानदेय राशि 25,000 तक होनी चाहिए. वह पीएम मोदी और सीएम योगी से गुहार लगाते नजर आए. उन्होंने ‘मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया गीत…’ गीत भी सुनाया. कहा कि फांसी सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि दोषी तिल तिल करके मरता है. समाज में संदेश जाता है कि अगर जघन्य अपराध किया तो यही हाल होगा.

