Last Updated:November 08, 2025, 19:06 ISTAyodhya Latest News : अयोध्या में 500 वर्षों के लंबे संघर्ष और बलिदान के बाद प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया है. यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक परंपरा, स्थापत्य कौशल और सांस्कृतिक गौरव का जीवंत उदाहरण है. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषता इसकी अनोखी निर्माण शैली है जिसमें कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है. आइए जानते हैं मंदिर के निर्माण, आकार और विशेषताओं से जुड़ी पूरी जानकारी.अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण भारतीय प्राचीन शिल्पकला और वैदिक परंपरा के अनुसार किया गया है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसके निर्माण में कहीं भी लोहे का उपयोग नहीं हुआ है. पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे के क्लैम्प और विशेष कुंजियों का प्रयोग किया गया है. यह तकनीक मंदिर को हजारों वर्षों तक स्थायी बनाए रखेगी. मंदिर पूरी तरह गुलाबी बलुआ पत्थर से निर्मित है जो राजस्थान से लाया गया है.
राम मंदिर का भव्य आकार और स्थापत्य विशेषताएंअयोध्या का यह मंदिर अपने आकार और सौंदर्य के लिए अद्वितीय है. इसकी लंबाई 350 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊँचाई 161 फीट है. यह मंदिर कुल 400 विशाल और मजबूत खंभों (स्तंभों) पर खड़ा है. मुख्य प्रवेश द्वार से लेकर गर्भगृह तक मंदिर में बारीक नक्काशी और भारतीय स्थापत्य कला के दुर्लभ नमूने दिखाई देते हैं. मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर पांच वर्षीय बाल स्वरूप में रामलला विराजमान हैं, जबकि प्रथम तल पर राजा राम अपने पूरे परिवार – माता सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न – के साथ प्रतिष्ठित होंगे.
मंदिर परिसर में अनेक देवी-देवताओं के मंदिरराम मंदिर परिसर में धार्मिक विविधता और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है. मुख्य मंदिर के चारों ओर आयताकार रूप में अनेक मठ और मंदिर बनाए गए हैं. इनमें भगवान शंकर, गणेश, सूर्यदेव, माता अन्नपूर्णा, भगवान हनुमान, लक्ष्मण और भगवती के मंदिर शामिल हैं.इसके अलावा भारतीय ऋषि परंपरा को सम्मान देने के लिए महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि वाल्मीकि और महर्षि अगस्त्य के मंदिर भी परिसर का हिस्सा हैं.
प्रेरणा देने वाले पात्रों को भी मिला स्थानश्रीराम के जीवन से प्रेरणा लेने वाले अनेक पात्रों को भी इस मंदिर परिसर में सम्मानपूर्वक स्थान दिया गया है. समाज में समानता और सेवा की भावना का संदेश देने वाले निषादराज, माता शबरी और अहिल्या के लिए भी अलग मंदिर बनाए गए हैं. इसके अतिरिक्त, रामायण काल के दो प्रतीक पात्र – जटायु और गिलहरी – को भी परिसर में स्थान दिया गया है, जिन्होंने प्रभु श्रीराम के कार्य में सहयोग देकर समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत किया था.
राम मंदिर बनेगा भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रतीकराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि अयोध्या का यह मंदिर केवल श्रद्धा का केंद्र नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रतीक बनेगा. उन्होंने कहा कि यह मंदिर पत्थरों से निर्मित एक अनोखी संरचना है जिसमें आधुनिक तकनीक और प्राचीन भारतीय वास्तुकला का संतुलित मेल देखने को मिलता है. चंपत राय ने बताया कि मंदिर के चारों ओर बनाए गए मठ और उपमंदिर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करेंगे और आने वाली पीढ़ियों को प्रभु श्रीराम के आदर्शों से जोड़ने का माध्यम बनेंगे.
अयोध्या बनेगी विश्व का आध्यात्मिक केंद्रश्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होने के साथ ही अयोध्या विश्व के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों में से एक बनने की ओर अग्रसर है. यहाँ आने वाले श्रद्धालु न केवल प्रभु श्रीराम के दर्शन का सौभाग्य पाएंगे बल्कि भारतीय शिल्पकला, भक्ति और सांस्कृतिक वैभव का प्रत्यक्ष अनुभव भी कर सकेंगे. यह मंदिर भारत की आस्था, त्याग और समर्पण का अमर प्रतीक बनकर सदियों तक विश्व को प्रेरित करता रहेगा.न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :Ayodhya,Faizabad,Uttar PradeshFirst Published :November 08, 2025, 19:06 ISThomeuttar-pradeshपत्थरों से बना अद्भुत राम मंदिर, कहीं नहीं हुआ लोहे का प्रयोग

