उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में फर्जी मार्कशीट मामले में पिछले 38 घंटे से चल रही केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छापेमारी खत्म हो गई है. 38 घंटे की जांच के बाद शुक्रवार की देर रात को ED के अधिकारी सरस्वती मेडिकल कॉलेज से वापस लौट गए. मोनार्क यूनिवर्सिटी हापुड़ व सरस्वती मेडिकल कॉलेज के चैयरपर्सन विजेंद्र सिंह हुड्डा की गिरफ्तारी के बाद ईडी की जांच शुरू हो गई है.
इस मामले में ईडी की जांच के दौरान कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं. ईडी सूत्रों के मुताबिक कॉलेज में फर्जी मार्कशीट के जरिए दाखिला दिलाने और उससे जुड़ी आर्थिक अनियमितताओं के दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं. इसके अलावा कॉलेज प्रबंधन से जुड़े कुछ कर्मचारियों और चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा के नजदीकियों से भी पूछताछ की गई.
38 घंटे की जांच के दौरान ईडी के अधिकारियों ने कंप्यूटर, हार्ज डिस्क, फाइलें और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं, जिन्हें अब लखनऊ मुख्यालय भेजा गया है. ईडी टीम ने कॉलेज में आर्थिक लेनदेन से जुड़े डेटा का डिजिटल फॉरेंसिक विश्लेषण भी कराया है. यह भी जांच की जा रही है कि कॉलेज की फंडिंग में कहीं फर्जी कंपनियां या बोगस खातों का इस्तेमाल तो नहीं किया गया.
ईडी सूत्रों के मुताबिक 38 घंटे की जांच में ED के अफसरों को कॉलेज प्रबंधन के खातों से करोड़ों की रकम के लेनदेन के अहम साक्ष्य मिले हैं. छात्रों की फीस के लेनदेन में भी बड़े स्तर पर ‘खेल’ किए जाने का साक्ष्य मिला है. कॉलेज प्रबंधन से जुड़े कर्मचारियों व नजदीकियों से भी पूछताछ की गई है. कॉलेज प्रबंधन के बैंक एकाउंट को ईडी ने रडार पर रखा है. उन्नाव के सरस्वती मेडिकल कॉलेज में ईडी की रेड को लेकर कई जानकारियां सामने आई हैं. बताया जा रहा है कि फीस के नाम पर लाखों रुपये का लेनदेन ऐसे खातों में किया गया, जो कॉलेज प्रशासन से सीधे जुड़े नहीं थे.
इस मामले में ईडी ने 16 ठिकानों पर छापेमारी की है, जिनमें हापुड़, उन्नाव, फरीदाबाद, गुड़गांव, सोनीपत, मेरठ, दिल्ली शामिल हैं. छापेमारी में मिले 50 से अधिक कंप्यूटर, लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की पड़ताल जारी है. ईडी के सूत्रों के मुताबिक विजेंद्र और उसके करीबियों से जेल में पूछताछ कर सकती है. उन्नाव के सरस्वती मेडिकल कॉलेज में ईडी की रेड को लेकर कई जानकारियां सामने आई हैं. बताया जा रहा है कि फीस के नाम पर लाखों रुपये का लेनदेन ऐसे खातों में किया गया, जो कॉलेज प्रशासन से सीधे जुड़े नहीं थे.

