गेहूं की बुवाई से पहले खेतों में कर लें ये जरूरी काम, डीजल और समय की होगी बचत
भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा आज भी खेती पर निर्भर है. पहले किसान बैलों के सहारे खेती करते थे, लेकिन समय के साथ खेती करने के तौर-तरीके और इस्तेमाल होने वाले कृषि यंत्रों में भी काफी बदलाव हुआ. मशीनीकृत खेती का युग आने के बाद तो खेती करना आसान हो गया. आज का किसान हमेशा अपनी लागत कम करने में लगा रहता है, और ये तरीका इसमें उनकी काफी मदद कर सकता है. लखमीपुर खीरी में धान की कटाई के साथ गेहूं की बुवाई शुरू हो चुकी है. इस समय किसानों को अपने खेतों को तैयार करने के लिए कई जरूरी काम करने होते हैं, जिनसे उनकी लागत और समय दोनों की बचत होती है.
रोटावेटर: खेती का आसान तरीका
नए-नए कृषि यंत्र आ गए हैं, जिससे किसानों के समय और लागत में तो बचत होती ही है, अच्छा उत्पादन भी मिलने लगा है. ऐसा ही एक कृषि यंत्र है रोटावेटर, जिसका इस्तेमाल करने से किसानों की राह आसान हो गई है. रोटावेटर ट्रैक्टर के साथ काम करने वाला कृषि यंत्र है. इसका मुख्य रूप से खेतों में उपयोग मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिए किया जाता है. रोटावेटर मक्का, गेहूं और गन्ना के अवशेष की मल्चिंग के लिए भी किया जाता है.
लखमीपुर खीरी के किसान अंचल मिश्रा बताते हैं कि पहले डिस्क हैरो या फिर कैल्टीवेटर से खेत की जुताई करते थे, जिसके लिए किसानों को बार-बार खेत की जुताई करनी होती थी और डीजल की खपत बढ़ जाती थी. लेकिन रोटावेटर आने से किसानों को बहुत फायदा हुआ है. रोटावेटर से एक बार खेत की जुताई करने से मिट्टी भुरभूरी हो जाती है. मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार भी आता है. रोटावेटर का इस्तेमाल करने से किसानों का समय, ऊर्जा और लागत की भी बचत होती है. रोटावेटर खेत की गहरी जुताई के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. यह खेत को उबड़-खाबड़ नहीं होने देता. खेत समतल बना रहता है. रोटावेटर से जुताई करने से फसलों में अच्छा उत्पादन मिलता है. बीजों का जमाव बेहतर होता है.
रोटावेटर के लिए कितने हॉर्स पावर की जरूरत होती है
किसान अंचल मिश्रा के मुताबिक, 7 फीट का रोटावेटर चलाने के लिए 35 से 40 हॉर्स पावर के ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है. 8 फीट का रोटावेटर के लिए 40 से 50 हॉर्स पावर, 9 फीट के रोटावेटर के लिए 60 से 65 हॉर्स पावर और 10 फीट रोटावेटर चलाने के लिए 65 से 70 हॉर्स पावर वाले ट्रैक्टर की जरूरत होती है.

