भृंगराज: बालों का राजा, लिवर और त्वचा की अचूक दवा
प्रकृति ने हमें अनेक ऐसे औषधीय पौधे दिए हैं जो न केवल बीमारियों से राहत दिलाते हैं बल्कि शरीर को भी स्वस्थ और संतुलित रखते हैं. इन्हीं में से एक है भृंगराज, जिसे आयुर्वेद में ‘केशराज’ यानी ‘बालों का राजा’ कहा गया है. यह पौधा बालों के साथ-साथ लिवर, त्वचा और आंखों से जुड़ी बीमारियों में भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है. अलीगढ़ के आयुर्वेदिक चिकित्सक राजेश कुमार बताते हैं कि भृंगराज एक प्रसिद्ध औषधीय पौधा है, जो पूरे भारत में पाया जाता है विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में.
भृंगराज की विशेषताएं
गौरतलब है कि भृंगराज एक औषधीय पौधा है जिसकी ऊंचाई लगभग 30 से 40 सेंटीमीटर होती है. इसका तना हरा और नरम होता है, जबकि पत्तियां हल्के हरे रंग की, लंबी और थोड़ी खुरदरी होती हैं. इसके छोटे सफेद गोलाकार फूल शाखाओं के सिरे पर खिलते हैं, जो इसकी सबसे बड़ी पहचान है. यह पौधा अधिकतर नमी वाले स्थानों जैसे तालाब, खेतों की मेड़ों या नालों के किनारे पाया जाता है. भृंगराज का स्वाद कड़वा और कसैला होता है तथा इसमें हल्की जड़ी-बूटी जैसी सुगंध होती है.
भृंगराज के फायदे
इन रोगों के इलाज में कारगरडॉ. राजेश ने बताया कि भृंगराज पित्त और कफ को शांत करने वाला पौधा है. इसका प्रयोग बाल झड़ना, समय से पहले सफेद होना, रूसी, गंजापन, लिवर डिजीज, त्वचा रोग और नेत्र रोगों में किया जाता है. यह लिवर को मजबूत बनाता है और जॉन्डिस जैसी बीमारियों में राहत देता है. भृंगराज का उपयोग चूर्ण, रस, अर्क, काढ़ा और तेल के रूप में किया जा सकता है. चूर्ण की 1–3 ग्राम मात्रा सुबह-शाम ली जा सकती है, जबकि काढ़ा 20–40 मिलीलीटर तक सेवन योग्य है. सप्ताह में दो बार भृंगराज तेल की सिर में मालिश करने से बालों को मजबूती, चमक और रूसी से राहत मिलती है.
भृंगराज शरीर को भीतर से संतुलित रखता है
डॉ. राजेश ने बताया कि भृंगराज शरीर को भीतर से संतुलित रखता है और त्वचा, बाल व लिवर से जुड़ी बीमारियों में प्रभावी राहत प्रदान करता है. इसी कारण इसे आयुर्वेद में केशराज के नाम से विशेष महत्व दिया गया है. चाहे पुरुष हों या महिलाएं, भृंगराज सभी के बालों के लिए एक प्राकृतिक वरदान है.

