गन्ने की फसल एक बार बुवाई करने के बाद किसानों को दो से तीन साल तक अच्छा उत्पादन देती है और किसान अच्छी आमदनी भी ले सकते हैं। गन्ने की फसल काफी मजबूत मानी जाती है, यह विपरीत परिस्थितियों में भी किसानों को अच्छा मुनाफा देती है। लेकिन गन्ने की फसल में रेड रॉट यानी लाल सड़न रोग बेहद ही खतरनाक बीमारी है जो एक बार फसल में लग जाए तो उसे रोकना नामुमकिन सा हो जाता है।
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के प्रसार अधिकारी डॉ. संजीव कुमार पाठक ने बताया कि इन दिनों के साथ शरदकालीन गन्ने की बुवाई कर रहे हैं। गन्ने की बुवाई वैज्ञानिक विधि से करनी चाहिए। वहीं गन्ने की फसल में एक गंभीर बीमारी रेड रॉट भी आती है, जिसकी रोकथाम के लिए किसानों को बुवाई के समय ही कुछ सावधानी बरतनी चाहिए।
6 महीने तक रहेगा असर
किसान उस खेत में गन्ने की फसल की बुवाई 6 महीने तक दोबारा बिल्कुल ना करें, जहां पहले लाल सड़न रोग फसल में आ चुका हो। क्योंकि रेड रॉट रोग के वायरस 6 महीने तक खेत में बने रहते हैं। इसके अलावा किसान बीज उपचार और मृदा उपचार जरूर करें। किसान लाल सड़न रोग ग्राही किस्म की बुवाई बिल्कुल ना करें, रोग प्रतिरोधी किस्म का चुनाव करें। किसान गन्ने की फसल से अच्छा मुनाफा ले सकते हैं।
करें 1 ग्राम वाला ये उपाय
गन्ने की फसल की बुवाई करने से पहले किसान बीज उपचार करें। बीज उपचार के लिए या थायोफिनेट मिथाइल (Thiophanate methyl 70% WP) 1 ग्राम प्रति लीटर में घोल बनाकर गन्ने के बीज के एक आंख या दो आंख के टुकड़ों को 10 मिनट तक के लिए डुबो दें। उसके बाद इस बीज को खेत में बुवाई कर दें। ऐसा करने से फंगस जनित रोगों से फसल को बचाया जा सकता है। खासकर रेड रॉट रोग से फसल सुरक्षित रहेगी।
ट्राइकोडर्मा और गोबर से करें ये काम
गन्ने की बुवाई करने से पहले खेत की तैयारी अच्छे से करें। खेत की गहरी जुताई करने के बाद मिट्टी को जोतकर भुरभुरा बना लें। अंतिम जुताई से पहले 10 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) को दो से तीन क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर पूरे खेत में बिखेर कर पाटा लगाकर समतल कर दें। उसके बाद वैज्ञानिक विधि से गन्ने की फसल की बुवाई करते हैं। लेकिन अगर कोई किसान गन्ने की बुवाई के वक्त मृदा शोध के लिए ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं, तो जब गन्ने की फसल 40 से 45 दिन की हो जाए और गन्ने का जमाव होने लगे उसके बाद लाइनों में गुड़ाई कर ट्राइकोडर्मा को गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर बिखेर दें।

