चित्रकूट में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आस्था और भक्ति का समंदर उमड़ पड़ा
चित्रकूट: प्रभु श्रीराम की तपोस्थली चित्रकूट में कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला. बुधवार की सुबह से ही लाखों श्रद्धालु माता सती अनसूया की तपस्थली से उद्गमित मां मंदाकिनी नदी के तट पर पहुंचे और हर-हर गंगे, जय श्रीराम के जयघोष के साथ पवित्र स्नान कर दीपदान किया. बुधवार सुबह सूरज की पहली किरण पड़ते ही मां मंदाकिनी नदी के घाटों पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. श्रद्धालु महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे सभी स्नान करने के लिए नदी में उतरे. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. नदी किनारे भक्ति संगीत और मंत्रोच्चार से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया.
दीपदान और परिक्रमा से गूंजी भगवान के जयकारों की ध्वनि
स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने मां मंदाकिनी नदी में दीपदान किया. सैकड़ों दीयों की लौ से नदी की लहरें स्वर्णिम आभा से दमक उठीं. भक्तों ने मतगजेंद्रनाथ मंदिर, तोता मुखी हनुमान मंदिर और कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर भगवान कामतानाथ के दर्शन किए. इस दौरान महिलाएं विशेष अनुष्ठान और व्रत कर रही थीं. घाटों पर आस्था का ऐसा नजारा था मानो पूरा चित्रकूट भक्ति में सराबोर हो गया हो.
माता सीता ने मां मंदाकिनी में मांगा था वरदान
महंत दिव्य जीवनदास जी महाराज ने बताया कि भगवान श्रीराम के वनवास काल में माता सीता ने यहीं मंदाकिनी नदी में स्नान कर यह वरदान मांगा था कि उनका परिवार सकुशल अयोध्या लौटे. तभी से यह स्थल अत्यंत पवित्र माना जाता है. ऐसा विश्वास है कि इस दिन मां मंदाकिनी में स्नान और पूजा करने वाला हर भक्त अपनी मनोकामना पूरी करता है. कार्तिक मास का यह अंतिम दिन भक्तों के लिए विशेष फलदायी होता है.
प्रशासन ने किए सुरक्षा और स्वच्छता के कड़े इंतजाम
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने घाटों पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की थी. पुलिस बल, गोताखोर और स्वास्थ्य कर्मी लगातार तैनात रहे. नगर पंचायत की ओर से घाटों की साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था और पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित की गई. प्रशासनिक अधिकारियों ने खुद घाटों का निरीक्षण किया ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो.
भक्ति और व्यवस्था का अद्भुत संतुलन
दिनभर मां मंदाकिनी तट पर धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन और दीपदान चलता रहा. भक्तों की भीड़ के बावजूद प्रशासनिक व्यवस्था सुदृढ़ दिखी. श्रद्धालुओं ने शांतिपूर्वक स्नान और पूजा-अर्चना कर भगवान श्रीराम, माता सीता और मां मंदाकिनी से सुख-समृद्धि की कामना की. कार्तिक पूर्णिमा का यह उत्सव एक बार फिर चित्रकूट की धार्मिक आभा को जीवंत कर गया.

