नवंबर महीना किसानों और बागवानों के लिए साग उगाने का सुनहरा समय होता है. थोड़ी सी मेहनत और सही देखभाल से इन दिनों हरे साग की खेती मालामाल बना सकती है. इससे सेहत भी सुधरेगी और कमाई भी खूब होगी. इन सागों की डिमांड खूब रहती है. लोग देखते ही टूट पड़ते हैं.
सर्दियों का मौसम न सिर्फ सेहत के लिए अच्छा होता है, बल्कि यह हरे-भरे साग-सब्जियों की खेती के लिए भी बेहद अनुकूल माना जाता है. नवंबर का महीना सब्जी उत्पादकों के लिए खास होता है क्योंकि इस समय मिट्टी की नमी, तापमान और दिन की धूप साग की वृद्धि के लिए उपयुक्त रहती है. रायबरेली के वरिष्ठ उद्यान विशेषज्ञ नरेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि अगर किसान या बागवान इस महीने कुछ चुनिंदा साग उगाएं, तो न केवल ताजा साग घर पर मिलेगा, बल्कि आमदनी का जरिया भी बनेगा.
पालक सर्दी के मौसम का सबसे लोकप्रिय साग है. नवंबर में इसकी बुवाई करना सबसे उचित समय होता है. दोमट मिट्टी और हल्की सिंचाई में यह खूब फलता-फूलता है. बुवाई के 25 से 30 दिन बाद कटाई की जा सकती है. यह बार-बार कटाई देने वाली फसल है, इसलिए कम मेहनत में ज्यादा उत्पादन देती है.
मेथी का साग सर्दियों में शरीर को गर्म रखने और पाचन को ठीक करने के लिए जाना जाता है. नवंबर के पहले सप्ताह में बीज बोने से 20-25 दिन में कटाई की जा सकती है. इसकी खेती घर की बालकनी में गमले या छोटे खेतों में भी की जा सकती है.
उत्तर भारत में सरसों का साग सर्दी की पहचान माना जाता है. नवंबर में बोई गई सरसों 30-35 दिन में तैयार हो जाती है. यह न सिर्फ स्वादिष्ट होती है, बल्कि बाजार में भी इसकी खूब मांग रहती है. किसान इसे मेथी या पालक के साथ इंटरक्रॉपिंग के रूप में भी उगा सकते हैं.
बथुआ एक देसी साग है, जो खुद-ब-खुद खेतों में उग जाता है, लेकिन इसकी योजनाबद्ध खेती करने से अच्छी पैदावार मिलती है. नवंबर में बोई गई फसल दिसंबर से फरवरी तक काटी जा सकती है. यह साग आयरन और कैल्शियम से भरपूर होता है.
चौलाई का साग पोषक तत्वों का खजाना है. इसकी खेती नवंबर में करने पर दिसंबर में कटाई शुरू हो जाती है. यह कम सिंचाई में भी अच्छी तरह बढ़ता है और लगातार नई पत्तियां देता रहता है.

