Uttar Pradesh

अरबों की जमीन और 5000 का दान, गाजीपुर में शिक्षा की नींव रखने वाले शख्स राय बहादुर जवाहर लाल की अनसुनी कहानी

गाजीपुर में एक महान व्यक्ति की कहानी

गाजीपुर: इस धरती ने अनेक ऐसे नाम देखे हैं जिन्होंने अपने कर्म से इस मिट्टी को पहचान दी. ऐसे ही एक महान व्यक्ति थे राय बहादुर जवाहर लाल, जिनका नाम आज भी सम्मान से लिया जाना चाहिए. वे उस दौर के व्यक्ति थे, जब भारत अंग्रेजों की हुकूमत के अधीन था. लेकिन उनकी सोच उस गुलाम भारत से बहुत आगे थी. उन्होंने 100 बीघा जमीन दान देकर गाजीपुर में कृषि शिक्षा की नींव रखी.

यही जमीन बाद में Moss Agricultural & Village Improvement Institute की स्थापना के लिए उपयोग में आई. इस संस्थान का उल्लेख ब्रिटिश अधिकारी आरजी एलन, निदेशक कृषि (यूनाइटेड प्रोविन्सेज़), को संबोधित एक पुराने पत्र में मिलता है. पत्र में लिखा है कि कृषि विद्यालय की स्थापना के उद्देश्य से 100 बीघा ज़मीन अधिग्रहित की गई है. इस जमीन की आज की कीमत अरबों रुपए में आंकी जाती है. इतना ही नहीं, उन्होंने इस संस्थान के लिए 5,000 की उदार राशि भी दान की थी. यह संस्थान जून 1931 में शुरू हुआ और इसका नाम तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट कैप्टन ईडीवी मॉस के सुझाव पर रखा गया.

कृषि शिक्षा को दी नई दिशा
ब्रिटिश कालीन रिपोर्ट के अनुसार, पहले बैच में 21 छात्र दो वर्षीय कोर्स के लिए भर्ती हुए, जिनमें से 13 छात्र सफल हुए. स्कूल का मुख्य उद्देश्य था, ‘शिक्षित वर्ग में बढ़ती बेरोजगारी के बीच व्यावहारिक किसान तैयार करना और श्रम की गरिमा स्थापित करना.’ संस्थान में आधुनिक औजारों, खाद और बीजों के उपयोग का प्रशिक्षण दिया जाता था. साथ ही, स्वच्छता, स्वास्थ्य विज्ञान और सहकारिता की शिक्षा भी दी जाती थी.

शिक्षा के क्षेत्र में अरबों का त्याग
राय बहादुर जवाहर लाल न केवल एक प्रतिष्ठित जमींदार थे, बल्कि डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और मजिस्ट्रेट के रूप में भी कार्यरत थे. उनकी समाजसेवा और शिक्षा के प्रति निष्ठा ने उन्हें उस समय का सबसे प्रगतिशील व्यक्तित्व बना दिया. परिवार के सदस्य मदन गोपाल दत्त बताते हैं कि, ‘वो सिर्फ धनवान नहीं थे, बल्कि गाजीपुर के भविष्य को लेकर बेहद सजग व्यक्ति थे. आज का विकास भवन, RTI चौराहा और RTI ऑफिस ये सब उनकी दान की गई ज़मीन पर बने हैं.

शिक्षा में विश्वास
राय बहादुर जवाहर लाल ने शिवनाथ सिंह गहमर इंटर कॉलेज के लिए भी भूमि दान की थी. उनका मानना था, शिक्षा ही वह बीज है, जिससे हर समाज की फसल लहलहाती है. 1930 के दशक में जब पूरा देश आजादी की लड़ाई में व्यस्त था, उस समय इस ‘रईस नायक’ ने गाजीपुर को आत्मनिर्भरता और विकास की दिशा दी. उनका यह योगदान आज भी इस जिले के गौरव का प्रतीक है- बस अफसोस, कि यह कहानी अब धुंधली पड़ गई है.

राय बहादुर जवाहर लाल
उनका नाम आज भी इस मिट्टी में गूंजता है, उन्होंने सिर्फ जमीन नहीं दी, बल्कि गाजीपुर की आने वाली पीढ़ियों के सपनों को जमीन दी. उनका दान आज अरबों का है, लेकिन उनकी सोच उससे कहीं ज़्यादा मूल्यवान थी.

You Missed

Himachal woman alleges BJP MLA Hansraj of harassment; he says she is ‘like my daughter’
Top StoriesNov 3, 2025

हिमाचल की महिला ने आरोप लगाया कि बीजेपी विधायक हन्सराज ने उन्हें परेशान किया, वह कहता है कि वह ‘मेरी बेटी जैसी’ है

शिमला: हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले से एक महिला ने भाजपा विधायक हंसराज पर उत्पीड़न और उनके परिवार…

Scroll to Top