उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के किसान सरसों की खेती में नई तकनीक अपना रहे हैं, जिससे पैदावार बढ़ रही है और लागत भी कम आती है. पहले किसान पारंपरिक तरीके से हाथ से सरसों की बुवाई करते थे, जिसमें ज्यादा समय और मेहनत लगती थी. लेकिन अब किसान कल्टीवेटर से सरसों की बुवाई कर रहे हैं. इस आधुनिक विधि से न सिर्फ बीज की बचत होती है, बल्कि खेत की तैयारी भी अच्छी तरह होती है.
कैसे करें सरसों की बुवाई
डीनदयाल शोध संस्थान कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. मिथिलेश झा बताते हैं कि सरसों की बुवाई करने के लिए सबसे पहले किसान भाइयों को सरसों की तैयारी कर लेनी चाहिए. सरसों की तैयारी करने के लिए खेत में नमी होना चाहिए. यदि नमी नहीं है, तो सरसों का जमाव अच्छा नहीं होगा. उसके साथ किसान भाइयों को सरसों की बुवाई कल्टीवेटर से करनी चाहिए. इससे लाइन की लाइन की दूरी 45 सेंटीमीटर रहती है. इससे सरसों का जमाव अच्छा होता है और उत्पादन भी काफी अच्छा होता है.
सुपर सीडर से क्यों नहीं करनी चाहिए सरसों की बुवाई
डॉ. मिथिलेश झा बताते हैं कि सरसों की बुवाई सुपर सीडर से नहीं करनी चाहिए. सुपर सीडर से गेहूं और धान की बुवाई करनी चाहिए. क्योंकि सुपर सीडर की लाइन से लाइन की दूरी 22 सेंटीमीटर होती है और सरसों का दाना काफी बारिक होता है तो सुपर सीडर से बुवाई करने पर किसान भाइयों को बीज की लागत भी अधिक आ जाती है. इसीलिए किसान भाइयों को सरसों की बुवाई जैसे मकई की बुवाई 45 सेंटीमीटर पर कल्टीवेटर से करनी चाहिए. उसी तरीके से सरसों की बुवाई किसान भाइयों को कल्टीवेटर से करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि पहले किसान भाई पारंपरिक तरीके से सरसों की बुवाई करते थे. इससे सरसों की फसल कहीं गजहीन तो कहीं भी बिरला हो जाती थी. इससे पैदावार में भी कमी आती थी. इसीलिए किसान भाइयों को कल्टीवेटर से सरसों की बुवाई करनी चाहिए. सुपर सीडर काफी भारी मशीन होती है. इससे सरसों की बुवाई जमीन के काफी अंदर हो जाती है. जिससे जमाव नहीं हो पता है. उससे भी किसान भाइयों को काफी नुकसान होता है.

