Uttar Pradesh

एसिडिटी और एनीमिया से छुटकारा दिला सकती है यह घास, घर के आसपास ही मिल जाएगी, ऐसे करें इस्तेमाल – उत्तर प्रदेश समाचार

दूब घास: एक ऐसी हरी घास जो कहीं भी उग जाती है और हर पूजा पाठ को पूरा करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह दूब घास न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि कई औषधीय गुणों का खजाना भी है। इसके सही सेवन से अनेकों बीमारियां दूर हो सकती हैं।

दूब घास के कई फायदे हैं। यह एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए लाभकारी है, क्योंकि यह लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाती है। इसकी जड़ का काढ़ा या मिश्री के साथ रस पीने से पेशाब में जलन और खून आने की दिक्कतें दूर होती हैं।

राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बलिया की चिकित्साधिकारी डॉ. वंदना उपाध्याय ने कहा कि दूब घास को दही के साथ खाने या इसका लेप लगाने से बवासीर में आराम मिलता है। नियमित सेवन तनाव और अनिद्रा जैसी मानसिक समस्याओं को भी कम कर सकता है। दूब घास के रस का सेवन करने से पाचन तंत्र बेहतर होता है। इसे नियमित पीने से कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी कई बीमारियां दूर रहती हैं।

दूब घास एक साधारण घास नहीं, बल्कि कई रोगों का इलाज है। इसमें प्राकृतिक तत्व होते हैं, जो खुजली, जलन और चकत्तों को दूर करने में मदद करते हैं। हल्दी के साथ इसका पेस्ट बनाकर लगाने से त्वचा स्वस्थ, चमकदार और सुंदर बनती है। इसका सबसे बड़ा असर तो यह है कि दूब घास का रस रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में रामबाण साबित हो सकता है।

दूब घास में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी पावर को भी बढ़ाने में सक्षम हैं। स्वच्छ और ताज़ी दूब घास का रस निकालकर उसमें शहद या मिश्री मिलाकर सेवन जा सकता है। इसका हल्दी के साथ पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाया जा सकता है। इसके अलावा, इसका काढ़ा यानी चाय अथवा पाउडर का उपयोग किया जा सकता है।

दूब घास न केवल औषधीय गुणों से भरपूर है, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। आचार्य पंडित राजकुमार ने कहा कि भगवान गणेश का पूजा दूब घास के बगैर संपन्न नहीं होता है। इसकी आवश्यकता शादी-विवाह से लेकर छोटे बड़े हर अनुष्ठान में पड़ता है। यह एक साधारण नहीं, बल्कि संजीवनी सामान घास है, जिसका उपयोग अगर औषधिय लाभ लेने के लिए आप कर रहे हैं, तो बगैर आयुर्वेद एक्सपर्ट से सलाह लिए न करें, क्योंकि किन्हीं परिस्थितियों में हानिकारक भी सिद्ध हो सकती है। इसका उम्र और बीमारी के हिसाब से सही डोज और तरीका एक एक्सपर्ट ही बता सकता है।

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