रामपुर के किसान पिछले 20 साल से मेंथा की खेती कर रहे हैं और इस फसल से उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है. मेंथा की खुशबू से लेकर इसका तेल तक दवा, क्रीम, टूथपेस्ट और परफ्यूम जैसी चीजों में इस्तेमाल होता है. किसान ने इस बार खास वैरायटी का मेंथा लगाया है, जिसमें तेल की मात्रा ज्यादा निकलती है.
रामपुर में मोहम्मद सलीम पिछले 20 साल से मेंथा की खेती कर रहे हैं. उन्होंने इस बार गोल्डन वैरायटी का मेंथा लगाया है, जो तेल की ज्यादा मात्रा के लिए मशहूर है. सलीम बताते हैं कि उन्होंने इस साल दो एकड़ जमीन में मेंथा की बुआई की है. यह फसल उन्होंने अक्टूबर में लगाई थी और जनवरी में खुदाई के लिए तैयार हो जाएगी. गोल्डन वैरायटी से ज्यादा तेल की पैदावार सलीम के मुताबिक, गोल्डन वैरायटी में तेल की मात्रा सबसे अच्छी होती है. इस बार उन्होंने करीब 7 क्विंटल पौधा लगाया है, जिससे लगभग 200 क्विंटल जड़ तैयार होने की उम्मीद है. बाजार में मेंथा की कीमत कभी 7 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच जाती है, जबकि कभी यह 4 हजार तक गिर जाती है. कमजोर बाजार में दाम 2 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक भी पहुंच जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद इस खेती में मुनाफा बना रहता है.
कम लागत में ज्यादा फायदा उन्होंने बताया कि दो एकड़ जमीन में खेती की कुल लागत करीब डेढ़ लाख रुपये आई है. इसमें मजदूरी, रोपाई, नराई और पौधों का खर्च शामिल है. हालांकि जब पैदावार अच्छी होती है और बाजार में दाम ठीक मिलते हैं, तो यह खेती लाखों रुपये का फायदा दे जाती है. सलीम कहते हैं कि मेंथा की जड़ और तेल दोनों की बाजार में लगातार मांग रहती है, जिससे यह फसल हमेशा मुनाफे में रहती है.
अक्टूबर से जनवरी तक सबसे सही समय सलीम बताते हैं कि मेंथा की खेती का सबसे बेहतर समय अक्टूबर से जनवरी तक का होता है. इस दौरान मौसम ठंडा रहता है, जिससे पौधे अच्छी तरह जम जाते हैं. उनका कहना है कि अगर किसान मेहनत से काम करें और सही वैरायटी चुनें, तो मेंथा की खेती से शानदार कमाई की जा सकती है.

