Uttar Pradesh

केवल 40 दिन में तैयार होने वाली इस सब्जी को साग कहा जाता है जो 7 बार मुनाफे का अवसर प्रदान कर सकती है! अभी इसकी बुवाई करें

सोया साग की खेती से किसान मोटा मुनाफा कमा सकते हैं

सोया साग एक कम समय और लागत में तैयार होने वाली पौष्टिक फसल है, जो केवल 30-40 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. यह फसल सर्दियों की अनुकूल जलवायु और दोमट मिट्टी के कारण बंपर उपज देती है. सोया साग की खेती का समय सर्दियों का मौसम है, जो सितंबर-अक्टूबर से लेकर दिसंबर के अंत तक होता है. इस फसल को उगाने के लिए 15°C से 25°C के तापमान की आवश्यकता होती है और हल्की ठंड को भी आसानी से सहन कर सकती है. सर्दियों में बुवाई करने से इसकी अच्छी पैदावार होती है, क्योंकि इस फसल को ठंड के मौसम में अच्छी ग्रोथ मिलती है. कुछ क्षेत्रों में, इसे साल के तीनों सीज़न में भी उगाया जा सकता है, लेकिन सर्दियों की फसल सर्वोत्तम मानी जाती है.

सोया साग की खेती के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. मिट्टी में पानी की निकासी अच्छी होनी चाहिए, क्योंकि जलभराव इस फसल के लिए हानिकारक होता है. मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना बेहतर माना जाता है. बुवाई से पहले खेत की 2-3 बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बनाना चाहिए. अच्छी उपज के लिए खेत की तैयारी के समय मिट्टी में सड़ी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट मिलाना आवश्यक होता है.

सोया साग खेती ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फायदेमंद होता है, क्योंकि यह कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है. इसमें आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए, डी, के, और मैंगनीज अच्छी मात्रा में होते हैं. यह पाचन को बढ़ावा देता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में मददगार है. सोया साग में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे सर्दियों में सर्दी-खांसी और संक्रमण से बचाव होता है. यह एनीमिया से भी बचाता है.

सोया साग की खेती किसानों के लिए आर्थिक रूप से बहुत लाभदायक है. यह कम लागत और कम समय में तैयार होने वाली फसल है. इसकी कटाई बुवाई के लगभग 30-40 दिन बाद शुरू हो जाती है, और यह कई बार कटाई देने वाली फसल है, जिससे किसान एक ही बार की बुवाई से बार-बार उपज ले सकते हैं. बाजार में इसकी मांग और कीमत अच्छी होती है, जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. प्रति हेक्टेयर औसतन 15 क्विंटल तक साग की उपज मिलती है. सोया साग की फसल बहुत तेजी से बढ़ती है और कम समय में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. बुवाई के लगभग 30 से 40 दिन बाद इसकी पहली कटाई की जा सकती है. इसकी कटाई पत्तियों को जमीन से 6-7 सेंटीमीटर ऊपर से काटकर की जाती है. पहली कटाई के बाद, यह फिर से बढ़ना शुरू हो जाता है, जिससे किसान कुछ अंतराल पर कई बार हार्वेस्टिंग कर सकते हैं और बाजार में लगातार ताज़ा साग बेच सकते हैं.

सोया साग की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उचित प्रबंधन जरूरी है. कटाई के बाद, फसल की अगली ग्रोथ के लिए पर्याप्त नमी बनाए रखना और आवश्यक हो तो हल्की सिंचाई करना महत्वपूर्ण है. पहली कटाई के बाद हल्की खाद या कंपोस्ट देने से भी अगली उपज बेहतर होती है. किसान कटाई के बाद सही भंडारण और परिवहन करके बाजार तक ताज़ा साग पहुंचाकर अधिकतम मुनाफा कमा सकते हैं, क्योंकि इसकी बाजार में अच्छी मांग होती है.

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