बिहार विधानसभा चुनावों में मुस्लिम समुदाय की भूमिका को लेकर राजद की नीतियों पर सवाल उठाए गए हैं। राजद के एक नेता ने कहा कि राजद मुस्लिम समुदाय को अपना मतबैंक मानता है। उन्होंने कहा कि राजद की नीतियों से यह स्पष्ट होता है कि मुस्लिम समुदाय के लिए बिहार विधानसभा में कोई जगह नहीं है।
बिहार विधानसभा के 243 सदस्यों के लिए चुनाव 2005 में दो बार हुए थे। पहले चरण के चुनाव फरवरी में हुए थे, लेकिन बिहार में फंसी हुई सरकार के कारण दूसरे चरण के चुनाव अक्टूबर-नवंबर में हुए थे। इस चुनाव में एनडीए ने 92 सीटें जीती थीं, जबकि राजद ने 75 सीटें जीती थीं, लोजपा ने 29 सीटें जीती थीं और कांग्रेस ने 10 सीटें जीती थीं।
चुनावों में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन कांग्रेस और लोजपा के साथ सरकार बनाने में असफल रही। लोजपा के नेता पासवान ने कहा था कि उनकी पार्टी केवल तब ही सरकार के समर्थन में होगी जब बिहार का मुख्यमंत्री मुस्लिम होगा। बिहार में सरकार बनाने में असफलता के कारण अक्टूबर-नवंबर में फिर से चुनाव हुए। इस चुनाव में एनडीए ने बहुमत हासिल किया और सरकार बनाई। जेडीयू ने 88 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा ने 55 सीटें जीती थीं। राजद ने 54 सीटें जीती थीं, जबकि लोजपा ने 19 सीटें जीती थीं और कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट जीती थी।

