मटर की 5 उन्नत किस्में जो किसानों को मोटी कमाई का जरिया बना सकती हैं
कृषि विशेषज्ञों ने हरी मटर की उन्नत किस्में विकसित की हैं, जो कम समय में बंपर पैदावार देती हैं और किसानों के लिए मुनाफे का जरिया बन सकती हैं. इनमें पंत मटर 155, अर्ली बैजर, आर्केल, काशी नंदिनी और पूसा श्री जैसी किस्में शामिल हैं, जो जल्दी तैयार होने के साथ रोग प्रतिरोधक भी हैं और किसानों के लिए अच्छा मुनाफा कमा सकती हैं।
पंत मटर 155 एक हाइब्रिड किस्म है, जिसे पंत मटर 13 और डीडी आर-27 के संकरण से विकसित किया गया है. इसमें बुवाई के 30-35 दिनों के भीतर फूल आने लगते हैं और 50-55 दिनों में हरी फलियों की पहली तुड़ाई की जा सकती है. इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता फफूंद और फली छेदक जैसे रोगों का प्रकोप कम करती है. इस किस्म से किसान प्रति हेक्टेयर करीब 100 क्विंटल उत्पादन लेकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
अर्ली बैजर एक विदेशी मटर की किस्म है, जिसके बीज झुर्रीदार होते हैं और पौधा बौना होता है. यह रोपाई के 50-60 दिन बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. प्रत्येक फलियों में औसतन 5-6 दाने होते हैं और किसान इस किस्म से प्रति हेक्टेयर करीब 100 क्विंटल उत्पादन लेकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
मटर की आर्केल किस्म मूल रूप से एक यूरोपियन किस्म है, जो अपने मीठे दानों के लिए जानी जाती है और जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में से एक है. इसकी फलियां बुवाई के लगभग 60-65 दिन बाद तोड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं. फलियां तलवार के आकार की, 8-10 सेमी लंबी होती हैं और इनमें सामान्य तौर पर 5-6 दाने पाए जाते हैं।
काशी नंदिनी मटर की एक महत्वपूर्ण अगेती किस्म है. बुवाई के करीब 60-65 दिनों में इसकी फलियां तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं. इसकी खासियत यह है कि पौधे में लगी सभी फलियां एक साथ तैयार होती हैं, जिससे बार-बार तुड़ाई की जरूरत नहीं पड़ती. प्रत्येक फली में 7-9 दाने होते हैं और इससे प्रति हेक्टेयर 110-120 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
साल 2013 में विकसित की गई पूसा श्री मटर की किस्म उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए बहुत उपयुक्त है. यह किस्म बुवाई के 50-55 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. प्रत्येक फली में 6-7 दाने होते हैं और किसान इस किस्म की खेती करके प्रति एकड़ 20-21 क्विंटल तक हरी फलियों का अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
अगर आप हरी मटर की फसल की बुवाई करने जा रहे हैं, तो कुछ जरूरी सावधानियां बरतना जरूरी है. बुवाई से पहले बीज और मृदा का उपचार करना आवश्यक है, क्योंकि हरी मटर की फसल में उकठा रोग आ सकता है. इस रोग की रोकथाम के लिए यह कदम बेहद महत्वपूर्ण है.

