गन्ने की फसल को कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचाना अब आसान हो गया है। किसान सिर्फ 1 ग्राम दवा को 1 लीटर पानी में घोलकर बीज का उपचार करें, तो रोग फैलने का खतरा लगभग खत्म हो जाता है। यह सस्ता और असरदार उपाय न केवल पौधों को स्वस्थ रखता है, बल्कि गन्ने की पैदावार भी बढ़ाता है।
उत्तर प्रदेश में गन्ने की बुवाई का समय आ गया है। शरद कालीन गन्ने की बुवाई सबसे अच्छी मानी जाती है। गौरतलब है कि गन्ने की एक बार बुवाई करने के 2 से 3 साल तक किसानों को उत्पादन मिलता है। हालांकि, गन्ने की फसल में कई ऐसे रोग भी लगते हैं जो फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे गन्ने की फसल की ग्रोथ और गुणवत्ता में विपरीत असर देखने को मिलता है। ऐसे में जरूरी है कि किसान गन्ने की फसल की बुवाई से पहले बीज उपचार कर लें, बीज उपचार करने से बीज जनित रोगों से निजात मिलती है।
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के प्रसार अधिकारी डॉ. संजीव कुमार पाठक ने बताया कि गन्ने की फसल में लाल सड़न या रेड रॉट रोग भारी नुकसान पहुंचाता है। इस फसल की रोकथाम के लिए किसानों को बुवाई के वक्त ही जरूरी कदम उठाने चाहिए। बुवाई के समय बीज उपचार जरूर करें। बीज उपचार करने के बाद अगर गन्ने की फसल की बुवाई करते हैं तो रोग लगने की आशंका काफी कम हो जाती है। वहीं फसल की ग्रोथ अच्छी होती है और किसानों को अच्छा उत्पादन भी मिलता है, लेकिन किसानों को यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि बीज उपचार पूरी सावधानी और वैज्ञानिक विधि से करें ताकि बेहतर परिणाम मिल सकें।
गन्ने की बुवाई करने से पहले बीज उपचार करें। बीज उपचार के लिए थायोफिनेट मिथाइल (Thiophanate-methyl) 1 ग्राम प्रति लीटर में घोल बनाकर गन्ने के बीज के एक आंख या दो आंख के टुकड़ों को 10 मिनट तक के लिए डुबो दें। उसके बाद इस बीज को खेत में बुवाई कर दें। ऐसा करने से फंगस जनित रोगों से फसल को बचाया जा सकता है।
कठिन होती है प्रक्रिया खासकर रेड रॉट रोग से फसल सुरक्षित रहेगी। बीज उपचार की प्रक्रिया थोड़ी कठिन रहती है, क्योंकि गन्ने की फसल की बुवाई करते समय गन्ने का बीज भारी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में किसान खेत में ही एक गड्ढा खोदकर, उसमें पॉलिथीन की मोटी शीट बिछाकर उसमें दवा का घोल बनाकर बीज को डुबो सकते हैं।
इस प्रकार, गन्ने की फसल को कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचाने के लिए बीज उपचार एक सस्ता और असरदार उपाय है। किसानों को यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि बीज उपचार पूरी सावधानी और वैज्ञानिक विधि से करें ताकि बेहतर परिणाम मिल सकें।

