गाजीपुर के प्रमुख घाटों पर महिला श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी दिखाई दे रही है. जिले में 50 से अधिक छठ घाट हैं, जिनमें ददरी घाट और नवापुरा घाट प्रमुख हैं, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. लेकिन इन्हीं प्रमुख घाटों पर चेंजिंग रूम की सुविधा न होना प्रशासनिक उपेक्षा को उजागर कर रहा है.
छठ महापर्व में अब सिर्फ चार दिन बचे हैं, लेकिन गाजीपुर के प्रमुख घाटों पर महिला श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी दिखाई दे रही है. यहां प्लास्टिक का टेंट होना चाहिए, लेकिन महिला श्रद्धालुओं को खुले में ही वस्त्र बदलते देखा गया. मऊ से छठ करने आई एक महिला ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि स्नान करने के बाद वस्त्र बदलने के लिए कोई जगह नहीं है. खुले में शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है. अगर छठ में यही हाल है, तो हम अपनी आस्था कैसे निभाएँगे? उन्होंने कहा कि चेंजिंग रूम के नाम पर यह प्लास्टिक के टेंट लगे हैं, जो कि असुविधाजनक है.
नवापुरा घाट की स्थिति और भी चिंतनीय है. साईं मंदिर के पास स्थित इस घाट पर हर वर्ष एक से दो लाख महिलाएं छठ करती हैं, लेकिन चेंजिंग रूम के नाम पर सिर्फ एक या दो अस्थायी व्यवस्थाएं की गई हैं. पिछले पाँच साल से यहीं छठ कर रहीं एक स्थानीय महिला श्रद्धालु ने नगर पालिका की कार्यशैली पर सीधा सवाल उठाया. नगर पालिका इतनी लापरवाह क्यों है? यदि वे घाट की सफाई कर सकते हैं, तो महिलाओं के लिए ढंग के चेंजिंग रूम क्यों नहीं बना सकते? हमसे 100-50 रुपये चंदा ले लें, लेकिन कम से कम चार-पाँच स्थायी चेंजिंग रूम और सुरक्षित बेदी तो बनाएँ.
गाजीपुर के घाटों पर बेदी और फिसलन की समस्या भी है. मीना देवी ने घाटों पर बेदी और फिसलन की समस्या भी उठाई. उन्होंने बताया कि कीचड़ और फिसलन इतनी है कि व्रती महिलाएँ पूजा के दौरान फिसल जाती हैं, जो दुर्घटना का कारण बन सकता है. लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और सुविधा के सामने नगर पालिका का यह इंतज़ाम पूरी तरह अपर्याप्त है. प्रशासन को पर्व से पहले इस संवेदनशील मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.