भारतीय रसोई स्वाद का खजाना ही नहीं, बल्कि इसमें छिपे घरेलू नुस्खे सेहत को भी संवारते हैं. इसमें अगर अदरक, गुड़ और हल्दी का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह शरीर के लिए संजीवनी साबित हो सकती है. पुरानी पीढ़ी से लेकर आज की आधुनिक लाइफस्टाइल में इनका महत्व कभी कम नहीं हुआ है. अदरक को आयुर्वेद में “विस्मयकारी औषधि” कहा गया है. अदरक की गर्म तासीर सर्दी-जुकाम, खांसी और गले की खराश में आराम देती है. चाय में डाला गया ताजा अदरक न केवल स्वाद बढ़ाता है, बल्कि शरीर को अंदर से गर्म रखता है. अदरक का रस पाचन को दुरुस्त कर भूख को बढ़ाता है. यह गैस-अपच जैसी समस्याओं को भी दूर करता है.
गुड़ को मीठा औषधि कहा जाए, तो गलत नहीं होगा. चीनी की तुलना में गुड़ ज्यादा फायदेमंद है, क्योंकि इसमें आयरन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं. गुड़ खाने से खून साफ होता है, हीमोग्लोबिन बढ़ता है और थकान दूर होती है. खासकर सर्दियों में एक टुकड़ा गुड़ शरीर को ऊर्जा देता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है. इसी के चलते ग्रामीण इलाकों में लोग अक्सर खाने के बाद गुड़ का सेवन करते हैं.
हल्दी का क्या पूछना यह तो हर भारतीय रसोई का सबसे खास मसाला है. यह करक्यूमिन एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है. हल्दी चोट लगने पर मरहम का काम करती है और शरीर में सूजन को कम करती है. रात को हल्दी वाला दूध पीने से नींद अच्छी, इम्युनिटी बढ़ने के साथ ही त्वचा भी निखरती है.
अब जरा आप सोचिए, जब इन तीनों का मेल हो जाए, तो सेहत को कितना फायदा हो सकता है. गांवों में आज भी लोग अदरक, गुड़ और हल्दी को मिलाकर काढ़ा बनाते हैं. यह काढ़ा सर्दी-जुकाम, खांसी और गले की खराश का घरेलू इलाज है. यह शरीर को ठंड के मौसम में गरम रख संक्रमण से बचाता है. आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ वंदना उपाध्याय के अनुसार, अदरक, गुड़ और हल्दी शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी पावर को बढ़ाने में मददगार हैं. हालांकि, इन्हें संतुलित मात्रा में ही लेना चाहिए, क्योंकि ज्यादा मात्रा में सेवन नुकसान भी पहुंचा सकता है.
कहा भी जाता है कि– “रसोई का हर मसाला, सेहत का रखवाला”। अदरक, गुड़ और हल्दी इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं. यह तीनों चीजें अगर रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल कर ली जाएं, तो बीमारियां कोसों दूर रहती हैं और शरीर हमेशा ऊर्जावान बना रहता है.