उत्तर प्रदेश का चंदौली जिला एक समय नक्सल गतिविधियों का गढ़ माना जाता था. खासकर इसका नौगढ़ क्षेत्र, जो घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों से घिरा हुआ है, नक्सलियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन चुका था. इस क्षेत्र में नक्सलियों का दबदबा इस हद तक था कि वे गांवों में अपनी समानांतर सरकार चला रहे थे. स्थानीय जनता भय के साए में जीवन बिता रही थी और प्रशासनिक अधिकारी भी इस क्षेत्र में जाने से कतराते थे.
नक्सलियों ने मझगाई वन चौकी पर हमला किया था, जिसमें 3 वनकर्मियों की जान चली गई और पूरी चौकी की इमारत को नक्सलियों ने ध्वस्त कर दिया था. इसके बाद, 20 नवंबर 2004 की सुबह एक और बड़ा हमला हुआ. उत्तर प्रदेश पीएसी का एक ट्रक, जो क्षेत्र से गुजर रहा था, जिसको नक्सलियों ने पुल के नीचे बम लगाकर उड़ा दिया था. इस हमले में 13 जवान शहीद हो गए और वाहन के टुकड़े-टुकड़े हो गए. नक्सलियों ने न सिर्फ जवानों का हथियार लूटा, बल्कि मृत जवानों पर दोबारा फायरिंग करके अमानवीयता को उजागर किया था. यह घटना उत्तर प्रदेश में नक्सलवाद की सबसे भयानक घटनाओं में से एक मानी जाती है.
इन घटनाओं के बाद सरकार ने तत्काल संज्ञान लिया और पूरे नौगढ़ क्षेत्र में विशेष विकास योजनाओं को लागू किया गया. दुर्गम रास्तों को सुधारा गया, CRPF के कैंप स्थापित किए गए और सुरक्षा बलों की मौजूदगी बढ़ाई गई. साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के विकास पर भी जोर दिया गया. इससे धीरे-धीरे नक्सलियों की पकड़ कमजोर होती गई और लोगों में विश्वास का माहौल बनने लगा.
चंदौली का भौगोलिक क्षेत्र बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश से सटा हुआ है. पास के जिले जैसे सोनभद्र और मिर्जापुर में भी नक्सल गतिविधियां चरम पर थीं, जिससे इस क्षेत्र में भी लगातार खतरा बना रहता था. नक्सली कभी भी रेलवे लाइनें, सरकारी भवन या अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचा देते थे. एक बार तो पुलिस अधिकारी ए. सतीश गणेश जंगलों में कॉम्बिंग ऑपरेशन के दौरान लापता हो गए थे, हालांकि वे अगली सुबह सुरक्षित वापस लौट आए.
आज की स्थिति पहले से पूरी तरह बदल चुकी है. अब नक्सल गतिविधियां लगभग समाप्त हो चुकी हैं और चंदौली विकास की ओर अग्रसर है. गांवों में सड़कें बनी हैं, स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र सक्रिय हैं और लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं, जहां कभी डर और आतंक का माहौल था, वहां अब उम्मीद और उन्नति की किरण दिखाई देती है. बता दें कि सरकार और सुरक्षा बलों की सख्त रणनीति, स्थानीय जनता का सहयोग और निरंतर विकास कार्यों की बदौलत चंदौली अब नक्सल मुक्त हो चुका है.