Uttar Pradesh

दिवाली पर चित्रकूट में गूंजा दिवारी नृत्य, लाठियों की गूंज से झूम उठा बुंदेलखंड।

दिवाली पर चित्रकूट में गूंजा दिवारी नृत्य, लाठियों की गूंज से झूम उठा बुंदेलखंड

भारत विविधताओं का देश है, जहां हर राज्य हर क्षेत्र की अपनी सांस्कृतिक पहचान है. इन्हीं परंपराओं में बुंदेलखंड का प्रसिद्ध दिवारी नृत्य आज भी लोगों को अपनी वीरता और अनोखेपन से आकर्षित करता है. दीपावली के पावन पर्व पर चित्रकूट की धरती पर यह पारंपरिक नृत्य अपनी अलग ही छटा बिखेरता है, इस नृत्य में युवा लाठी-डंडों के साथ एक-दूसरे पर वार करते हुए नाचते हैं, जो देखने में किसी युद्धकला से कम नहीं लगता है. यही कारण है कि यह नृत्य हर साल दिवाली के अवसर पर पूरे क्षेत्र का केंद्रबिंदु बन जाता है.

लाठी से वार, धनतेरस से लेकर भाई दूज तक चलने वाले इस दिवारी नृत्य में भाग लेने वाले युवक रंग-बिरंगे पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं, सिर पर पगड़ी और कमर पर फूलों की झालर बांधते हैं, उनके हाथों में लाठी होती है और चेहरों पर दिवाली का जोश. वे गांव-गांव घूमकर मठ-मंदिरों में दर्शन करते हैं और ढोलक की थाप पर वीर रस से भरा नृत्य प्रस्तुत करते हैं. इस दौरान उनके कदमों की थिरकन और लाठियों की टकराहट का स्वर वातावरण को ऊर्जावान बना देता है. यह नृत्य न सिर्फ दीपावली का उल्लास बढ़ाता है, बल्कि लोकसंस्कृति को भी जीवित रखता है. जो कोई भी इसको देखता है वह इसको देखता ही रह जाता है।

यदुवंशी की परंपरा के अनुसार, यह परंपरा यदुवंशी की पहचान है, उनका कहना है कि यह केवल नृत्य नहीं बल्कि वीरता, अनुशासन और एकता का प्रतीक है. दिवारी कलाकार बताते हैं कि वे अपने पूर्वजों से यह कला सीखते आए हैं और हर साल दीपावली के पर्व पर इसे निभाते हैं ताकि आने वाली पीढ़ियां भी अपनी परंपरा से जुड़ी रहें. चित्रकूट की गलियों और मंदिरों के प्रांगणों में जब दिवारी नर्तक लाठियों की झंकार के साथ थिरकते हैं, तो श्रद्धालुओं की भीड़ मंत्रमुग्ध हो उठती है।

You Missed

घर की दीवारों पर तस्वीर लगाना इस्लाम में जायज़ है या नाजायज़? यहां जानिए
Uttar PradeshOct 22, 2025

इस्लामिक कानून पर तस्वीरें: घर की दीवारों पर तस्वीर लगाना इस्लाम में जायज़ है या नाजायज़? यहां जानिए क्या कहते हैं मौलवी

अलीगढ़ में घर की दीवारों पर तस्वीर लगाना इस्लाम में जायज़ है या नाजायज़? आज के दौर में…

Scroll to Top