कोर्ट ने कहा, क्या बच्ची ने सही से समझाया कि क्या हुआ था?
अवम का सच के मुताबिक, उच्च न्यायालय ने एक मामले में अपील को स्वीकार कर लिया है, जिसमें 16 साल की एक लड़की ने अपने चाचा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने 2014 में एक साल तक उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे, जिसके लिए उन्होंने विवाह का झूठा आश्वासन दिया था।
कोर्ट ने कहा कि मामला 2023 में दर्ज हुआ था और उसमें बच्ची ने अपने चाचा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। कोर्ट ने कहा कि मामले में केवल बच्ची और उसके माता-पिता के बयान ही हैं और कोई भी फोरेंसिक प्रमाण नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि शब्द “शारीरिक संबंध” का कोई परिभाषा IPC या POCSO एक्ट में नहीं है। न्यायाधीश ने कहा कि बच्ची ने क्या समझा था और क्या हुआ था, इसका कोई विवरण नहीं दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि अगर बच्ची ने क्या समझा था, इसका कोई विवरण नहीं दिया गया है, तो कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्ची को क्या समझाया गया था और क्या हुआ था।
न्यायाधीश ने कहा कि अगर बच्ची के बयान में कुछ भी कमी है, तो कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्ची को क्या समझाया गया था और क्या हुआ था। कोर्ट ने कहा कि अगर प्राकृतिक साक्ष्य की कमी है, तो कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्ची को क्या समझाया गया था और क्या हुआ था।
कोर्ट ने कहा कि अगर प्राकृतिक साक्ष्य की कमी है, तो कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्ची को क्या समझाया गया था और क्या हुआ था। न्यायाधीश ने कहा कि अगर प्राकृतिक साक्ष्य की कमी है, तो कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्ची को क्या समझाया गया था और क्या हुआ था।
कोर्ट ने कहा कि अगर प्राकृतिक साक्ष्य की कमी है, तो कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्ची को क्या समझाया गया था और क्या हुआ था। न्यायाधीश ने कहा कि अगर प्राकृतिक साक्ष्य की कमी है, तो कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्ची को क्या समझाया गया था और क्या हुआ था।