इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पाकिस्तान जिंदाबाद वाला पोस्ट शेयर करने के मामले में मेरठ के रहने वाले साजिद चौधरी को जमानत दे दी है। साजिद 13 मई से जेल में बंद था और उसपर भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के तहत मामला दर्ज किया गया था। जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साजिद के इस कारनामे को गलत माना है, लेकिन यह भी कहा कि ऐसे मामलों में धारा 152 के कड़े प्रावधान लागू नहीं होते।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साजिद को जमानत देते हुए कहा, “केवल किसी दूसरे देश के समर्थन में पोस्ट करना भारत की संप्रभुता को खतरे में डालने वाला अपराध नहीं है।” कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “किसी देश के समर्थन में संदेश को केवल आगे बढ़ाना नागरिकों में गुस्सा या अशांति पैदा कर सकता है और यह बीएनएस धारा 196 (धर्म, जाति, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी या अशांति को बढ़ावा देना) के तहत दंडनीय हो सकता है, लेकिन यह निश्चित रूप से बीएनएस धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कार्य) के तहत अपराध नहीं होगा।”
साजिद पर “पाकिस्तान की तारीफ करने वाला नारा” वाला पोस्ट शेयर करने का आरोप था। यूपी पुलिस ने उसे देशद्रोह, दुश्मनी को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ कार्य करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उस पर बीएनएस धारा 152 के तहत आरोप लगाए गए थे और वे मई से जेल में थे।
साजिद को सरकारी वकील ने बताया अलगाववादी, जबकि उसके वकील ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल ने न तो पोस्ट लिखा और न ही बनाया, बल्कि किसी और से मिला मैसेज केवल आगे बढ़ाया और वो भी बिना किसी नफरत फैलाने या सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने के इरादे के। उन्होंने कहा कि आरोपी का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और जमानत पर छूटने से सबूतों के साथ छेड़छाड़ का कोई खतरा नहीं है। दूसरी ओर सरकारी वकील ने दावा किया कि साजिद एक अलगाववादी है और उसके पास ऐसी गतिविधियों का इतिहास है।