Uttar Pradesh

एक जोखिम भरी बी.टेक किसान! खाद के बिना स्थानीय अरहर उगाते हैं, आप इसकी वृद्धि से आश्चर्यचकित हो जाएंगे…

बलिया के बसंतपुर के युवा किसान दुष्यंत कुमार सिंह ने कंप्यूटर नौकरी छोड़कर जैविक खेती अपनाई और कम उम्र में सफलता हासिल की. उन्होंने छह बीघे में बिना रासायनिक खाद और उर्वरक के अरहर की खेती की, जिससे उच्च गुणवत्ता और लाभदायक पैदावार मिली. उनकी मेहनत ने ग्रामीण रोजगार भी बढ़ाया और राज्यस्तरीय सराहना पाई.

आज के समय में अधिकतर युवा तकनीकी पढ़ाई के बाद नौकरी को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन बलिया के बसंतपुर के युवा किसान दुष्यंत कुमार सिंह ने इस परंपरा को तोड़ते हुए बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की नौकरी छोड़कर खेती का दामन थाम लिया. आज वह जैविक खेती के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं. उनकी मेहनत और सोच न केवल उनकी सफलता का कारण बनी है, बल्कि कई अन्य युवाओं को भी खेती की ओर आकर्षित कर रही है. कम उम्र में उन्होंने कृषि क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है.

जैविक खेती का आदर्श मॉडल दुष्यंत कुमार सिंह पूरी तरह से जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. उनका मानना है कि शुद्ध अनाज वही होता है जो बिना रसायन के उगाया जाए. उन्होंने अरहर की खेती पूरी तरह से बढ़वार (बरसाती पानी आधारित) पर की है. खेतों को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि उत्पादन बंपर होगा. उनका कहना है कि जैविक खेती से जमीन की उर्वरता बढ़ती रहती है और बार-बार रासायनिक खाद या उर्वरक की जरूरत नहीं पड़ती. सबसे खास बात यह है कि इस युवा किसान ने बीज के अलावा खेती में कोई खर्च नहीं किया. न सिंचाई की जरूरत पड़ी और न ही किसी प्रकार का खाद या उर्वरक लगाया गया. छह बीघे में उन्होंने देसी प्रजाति की अरहर की फसल उगाई है, जिसकी बाजार में मांग अधिक है और कीमत दोगुनी या उससे भी अधिक मिलती है. इससे न केवल किसान को लाभ होगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी शुद्ध और पौष्टिक दाल प्राप्त होगी.

ग्रामीण रोजगार में योगदान दुष्यंत कुमार सिंह ने केवल अपनी सफलता तक सीमित न रहकर ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी बढ़ाए हैं. वर्तमान में उन्होंने 10 लोगों को स्थायी रोजगार दिया है. उनका मानना है कि अगर मन से खेती की जाए तो बिना रासायनिक खाद और उर्वरक के भी बंपर पैदावार ली जा सकती है. जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और उपजा अनाज स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है. दुष्यंत कुमार सिंह के इस प्रयास की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश जी जैसी बड़ी हस्तियों ने भी सराहना की है. उनका कहना है कि युवा वर्ग को खेती के प्रति आकर्षित करने और जैविक कृषि को बढ़ावा देने में ऐसे युवा किसान मिसाल बन सकते हैं.

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