उत्तर प्रदेश के कानपुर में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की रिहाई एक बार फिर कागज के हेरफेर में अटक गई। उनकी रिहाई परवाना जो कोर्ट से महाराजगंज जेल भेजा जाना था, वो कानपुर जेल पहुंच गया, जिसके चलते इरफान सोलंकी की रिहाई नहीं हो पाई।
इरफान सोलंकी की रिहाई अटक गई। उनका भाई रिजवान सोलंकी सोमवार को कानपुर जेल से रिहा हो गया, लेकिन इरफान सोलंकी की रिहाई अटक गई। क्योंकि इरफान का रिहाई परवाना कानपुर जेल पहुंच गया, जबकि इरफान महाराजगंज जेल में बंद हैं। अब मंगलवार को रिहाई परवाना महाराजगंज जेल जाएगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एवं असामाजिक गतिविधि (निरोधक) कानून के तहत आरोपी और समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को बृहस्पतिवार को जमानत दे दी थी। जमानत का यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन द्वारा पारित किया गया जिन्होंने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दो सितंबर, 2025 को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी ने कानपुर के जाजमऊ पुलिस थाना में अपने खिलाफ गैंगस्टर कानून के तहत दर्ज इस मामले में जमानत याचिका दायर की थी। गौरतलब है कि 26 दिसंबर 2022 को कानपुर के जाजमऊ थाने में तत्कालीन इंस्पेक्टर अशोक कुमार दुबे की ओर से गैंगस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि इरफान सोलंकी गैंग बनाकर आर्थिक लाभ के लिए आम जनता को भयभीत करते थे। इस मुकदमे में रिजवान सोलंकी और इजरायल आटेवाला समेत कई अन्य को भी अभियुक्त बनाया गया था।
कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट से इरफान सोलंकी विधायक थे। सजा के बाद उनकी विधायकी चली गई। इसके बाद उपचुनाव हुआ, जिसमें उनकी पत्नी जीत गईं। इरफान सोलंकी और उनके अन्य साथियों को सात साल की सजा सुनाई गई है। जमानत के समर्थन में कहा गया था कि इरफान सोलंकी के खिलाफ राजनीतिक रंजिश के कारण मुकदमे दर्ज कराए गए हैं।

