Uttar Pradesh

बाराबंकी के सतरिख में सप्त ऋषि आश्रम, भगवान राम ने भाइयों के साथ ली थी शिक्षा, यहां रोज होती है पूजा-अर्चना

बाराबंकी जिले के सतरिख में स्थित सप्त ऋषि आश्रम एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो अपनी ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां महर्षि वशिष्ठ का आश्रम है, जहां सप्त ऋषियों ने कठोर तपस्या की थी। भगवान राम ने यहीं लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ शिक्षा-दीक्षा ली थी।

सप्त ऋषि आश्रम बाराबंकी जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां भगवान श्रीराम ने अपने भाइयों के साथ महर्षि विश्वामित्र से शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा ग्रहण की थी। इसी आश्रम के जंगल में उन्होंने राक्षसों का वध भी किया था। आश्रम में ऐसे कई साक्ष्य मौजूद हैं, जो इन मान्यताओं की पुष्टि करते हैं।

कहा जाता है कि जब भगवान राम धनुष विद्या सीख रहे थे, उनके द्वारा चलाया गया एक तीर लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर जाकर धरती में गड़ गया था। यह तीर अब पत्थर का रूप ले चुका है, जिसकी आज भी श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। आश्रम के समीप एक नदी भी बहती है, जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान राम यहां स्नान किया करते थे।

प्रभु श्री राम की जन्म भूमि अयोध्या राजवंश का अंश रहा है। यहां का सप्त ऋषि आश्रम एक गुरुकुल था, जहां ऋषि-मुनि निवास करते थे। राक्षसों के नित्य उपद्रव से परेशान होकर गुरु विश्वामित्र स्वयं अयोध्या गए और राजा दशरथ से चारों भाइयों को मांग लाए। सबको धनुष विद्या सिखाई। सप्त ऋ�ि आश्रम क्षेत्र में देवघरा माता मंदिर और प्राचीन शिवलिंग भी है, जो भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र है।

श्रीराम का चलाया एक तीर आज भी मौजूद है। महंत नानक शरण दास ने बताया कि त्रेता युग में भगवान श्री राम चारों भाइयों सहित अन्य राजकुमार शिक्षा दीक्षा ले रहे थे। जब गुरुकुल में राम जी की शिक्षा संपूर्ण हुई तब विश्वामित्र मुनि के कहने पर जो वशिष्ठ मुनि थे, उन्होंने कहा कि भगवान राम यहां पढ़े हैं। यह उनका गुरुकुल स्थान है। प्रभु आप जो मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में अवतरित हुए हैं, आप यहां पढ़े हैं तो इस कारण यहां कुछ चिन्ह होने चाहिए जो भविष्य में भक्ति भाव या आपके प्रति श्रद्धा भाव जन्म जन्मो तक पहुंचती रहे।

भगवान श्री राम ने चार बाण छोड़े, जो सतरिख सीमा से एक से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर चारों बाण लगे हुए हैं। जिनमें एक बाण यही पास में गढ़ा हुआ है, जो अब पत्थर का है। जिसकी आज भी लोग पूजा अर्चना करते हैं और कार्तिक पूर्णिमा की दिन यहां मेला भी लगता है।

You Missed

Bihar election fallout, SIR set to dominate winter session of Parliament starting from December 1
Top StoriesNov 8, 2025

बिहार विधानसभा चुनाव के प्रभाव, 1 दिसंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में SIR का दबदबा

यह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय है। इस सर्दियों के सत्र को 2014 के…

ED attaches PFI properties worth Rs 67 crore used for terror training, total seizures cross Rs 129 crore
Manipur's Kuki leaders meet MHA advisor; hill communities seek legislative autonomy
Top StoriesNov 8, 2025

मणिपुर के कुकी नेता एमएचए सलाहकार से मिलते हैं; पहाड़ी समुदायें विधायी स्वायत्तता की मांग करते हैं

मणिपुर में कुकी समुदाय के लिए केंद्र शासित प्रदेश की मांग जारी गुवाहाटी: मणिपुर में कुकी समुदाय ने…

Scroll to Top