कानपुर में भारत-पाकिस्तान मैच के विरोध की आवाजें सामने आईं
कानपुर। भारत ने हाल ही में एशिया कप जीतकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, लेकिन इस जीत के बाद भी कुछ लोगों ने भारत-पाकिस्तान मैच का विरोध किया है। कानपुर के शहीद शुभम द्विवेदी के पिता संजय द्विवेदी ने भी इस मैच का पूरी तरह विरोध किया है।
उनका कहना है कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच ‘खून और पानी’ एक साथ नहीं बह सकता है, तो ऐसे माहौल में इस मैच का होना सही नहीं था। उनका तर्क है कि इस मैच से पाकिस्तान को हजारों करोड़ रुपये का लाभ हुआ, जिसे वह कहीं न कहीं आतंकी घटनाओं में इस्तेमाल कर सकता है।
शहीद शुभम के पिता ने कहा कि यह मैच होना ही नहीं चाहिए था। उनका कहना है कि जिस देश के कारण हमारे बेटे की जान गई है, उस देश से किसी भी तरह का खेल संबंध या बातचीत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने साफ कहा था कि यह मैच किसी भी हाल में नहीं होना चाहिए था।
भारतीय टीम ने एशिया कप जीतने के बाद भी एक बड़ा संदेश दिया है। टीम ने एशियन क्रिकेट काउंसिल के चैयरमैन मोहसिन नकवी से ट्रॉफी लेने से मना कर दिया है। यह एक बड़ा संदेश है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कितना सख्त है।
शहीद शुभम के पिता ने कहा कि भारतीय टीम की जीत अच्छी बात है, लेकिन असली संदेश तब जाता है जब भारत पाकिस्तान के साथ मैच ही खेलने से इनकार कर देता। उन्होंने कहा कि तीन मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए और ये तीनों नहीं होने चाहिए थे। अगर भारत सीधे यह कह देता कि पाकिस्तान से न बातचीत करेंगे और न खेलेंगे तो दुनिया को यह संदेश जाता कि भारत आतंक के खिलाफ कितना सख्त है।
शहीद शुभम के पिता ने एक और बड़ी बात कही कि आज तक उनके बेटे शुभम को शहीद का दर्जा नहीं मिला है। वह लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि शुभम को शहीद का दर्जा दिया जाए। उनका कहना है कि बेटे की मौत बेवजह बर्बाद नहीं जानी चाहिए। अगर सरकार उसे शहीद का दर्जा देती है तो यह न सिर्फ उनके परिवार के लिए सम्मान होगा बल्कि यह संदेश भी जाएगा कि देश आतंकवाद के खिलाफ खड़े अपने हर नागरिक के बलिदान को याद रखता है।

